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संसद में अनुराग ठाकुर खड़े हुए तो विपक्ष ने क्यों कहा- गोली मत मारो?

गोली मारना बंद करो... गोली मारना बंद करो! यह नारा संसद में सोमवार को तब गूँजा जब केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर संसद में भाषण देने के लिए खड़े हुए। यह वही मंत्री हैं जिन्होंने दिल्ली की एक चुनावी रैली में नारा लगाया था- 'देश के गद्दारों को...' इस पर भीड़ ने '...गोली मारो सालों को' बोलकर इस नारे को पूरा किया था। ठाकुर ने यह नारा बार-बार लगाया और लगवाया था। वह जनता के '...गोली मारो सालों को' बोलने पर तालियाँ बजाते भी दिखे थे। तब उनके इस नारे को हत्या के लिए उकसाने वाला बताया गया था। चौंकाने वाली बात यह है कि उनके नारे लगाने के बाद से अब तक जामिया और शाहीन बाग़ क्षेत्र में फ़ायरिंग की एक के बाद एक 3 घटनाएँ हो चुकी हैं। लेकिन अनुराग ठाकुर पर कार्रवाई न के बराबर की गई है। विपक्षी दल उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग कर रहे हैं।

इसी बीच जब वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर बजट पेश होने के बाद सोमवार को अर्थव्यवस्था के सवालों के जवाब देने के लिए खड़े हुए तो 'गोली मारना बंद करो' या 'स्टॉप शूटिंग' के नारे लगे। 30 सांसद सदन के बीचोंबीच आ गए और उन्होंने 'शर्म करो', 'शर्म करो' लिखी तख्तियाँ दिखाईं। बीजेपी सांसदों द्वारा नफ़रत वाले भाषणों को लेकर संसद से वॉकआउट किया। 

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हाल के दिनों में दिल्ली चुनावों में आपत्तिजनक बयानबाज़ी की शुरुआत अनुराग ठाकुर और सांसद प्रवेश वर्मा ने की। ठाकुर ने '...गोली मारो सालों को' का नारा लगवाया था, जबकि प्रवेश वर्मा ने नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों के बारे में कहा था कि 'ये लोग घरों में घुसेंगे और बहन व बेटियों का रेप करेंगे।' उनके भाषणों की इसलिए चौतरफ़ा आलोचना हुई कि उनके बयान ध्रुवीकरण करने वाले थे और सांप्रदायिकता को बढ़ाने वाले थे। इसके बाद चुनाव आयोग ने दोनों नेताओं को पार्टी के स्टार कैंपेनरों की सूची से हटाने के आदेश दिए थे। लेकिन जब मामूली कार्रवाई किए जाने पर चुनाव आयोग की काफ़ी आलोचना हुई थी तब दोनों पर कुछ समय के लिए प्रचार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

जानकारों का कहना है कि धारा 153 ए/295ए साफ़ कहती है कि धर्म, जाति, भाषा, प्रतीकों, जन्मस्थान, समूह या समुदाय के ख़िलाफ़ किसी भी तरह की शत्रुता फैलाना अपराध है। शांति भंग या क़ानून व्यवस्था बिगड़ना या बिगड़ने का अंदेशा हो तो कार्रवाई की जानी चाहिए। इस धारा के तहत बिना वारंट के गिरफ़्तारी और  तीन साल तक की सज़ा का प्रावधान है। इसके तहत दोनों नेताओं को गिरफ़्तार किया जाना चाहिए।

इसके पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव में मॉडल टाउन से बीजेपी उम्मीदवार कपिल मिश्रा ने भी यही नारा ‘...गोली मारो सालों को’ लगवाया था। उन्होंने एक रैली निकाली थी, जिसमें वे इसी तरह के नारे लगाते हैं और उनके साथ चल रहे पार्टी कार्यकर्ता इसी तरह का जवाब देते हैं। 

दरअसल, इन नेताओं के निशाने पर वे हैं जो नागरिकता क़ानून का विरोध कर रहे हैं। चुनाव का मौसम है तो चुनावी लाभ लेने के लिए भी ऐसी बयानबाज़ी की होड़ लगी है। हाल के दिनों में जो बयान आए हैं वे सब ऐसे ही 'हिंदू-मुसलमान' के ईर्द-गिर्द हैं।

बीजेपी नेता और सांसद बांडी संजय कुमार ने कहा था कि अब युद्ध शुरू हो चुका है अब किसी को भी नहीं छोड़ा जाएगा। यूपी के बीजेपी नेता रघुराज सिंह ने कहा कि जो भी हिंदुस्तान के टुकड़े करना चाहेगा उसे दफना दिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि जो भी हिंदुत्व की रूपरेखा में रहेगा वही सर्वाइव करेगा।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कश्मीर में आतंकवादियों का समर्थन करने वाले शाहीन बाग़ में बैठे हैं। पहले बीजेपी नेता दिलीप घोष ने कहा था, ‘कुत्तों की तरह गोली मार देनी चाहिए और यूपी में मारी है’। 

इन नेताओं के ऐसे ही भड़काऊ भाषणों और बयानबाज़ी के बाद जामिया क्षेत्र में एक के बाद एक गोली चलाने की कई घटनाएँ सामने आ रही हैं। नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ दिल्ली के शाहीन बाग़ में चल रहे धरने में शनिवार को पहुँचे एक शख़्स ने फ़ायरिंग कर दी थी। हमलावर ने हिरासत में लिए जाते वक्त कहा, ‘हमारे देश में सिर्फ़ हिन्दुओं की चलेगी।’

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कुछ दिन पहले ही जामिया मिल्लिया इसलामिया के पास एक नाबालिग शख़्स ने गोली चला दी थी। इसे लेकर ख़ासा हंगामा हुआ था। इस शख़्स ने सरेआम रिवॉल्वर लहराते हुए ‘ये लो आज़ादी’ कहते हुए गोली चलाई थी और ‘दिल्ली पुलिस ज़िंदाबाद’ के नारे भी लगाए थे। रविवार रात को भी फ़ायरिंग हुई। 

हालाँकि इस सबके बाजवूद ऐसी बयानबाज़ियों पर न तो पुलिस कार्रवाई हुई है और न ही दिल्ली में चुनाव आचार संहिता लागू होने के बावजूद दिल्ली में भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं पर उस तरह की कार्रवाई हुई है। शायद इसी का नतीजा है कि संसद में विपक्ष का ग़ुस्सा इस तरह से ज़ाहिर हो रहा है।

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क़मर वहीद नक़वी
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