ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में एक बार फिर खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे हैं। पंजाब के हालात को देखते हुए राज्य सरकार ने स्वर्ण मंदिर के आसपास जबरदस्त सुरक्षा व्यवस्था की है। पिछले महीने ही हिमाचल विधानसभा की दीवारों पर खालिस्तान लिखे झंडे मिले थे।
अमृतसर से आए वीडियो में दिख रहा है कि सिख समुदाय के लोगों ने हाथों में तलवार लेकर खालिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की। इस दौरान उन्होंने अलगाववादी खालिस्तानी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले के समर्थन में भी नारे लगाए।
सिख समुदाय के लोगों ने खालिस्तान लिखे हुए कार्ड भी हाथों में लिए हुए थे। इस दौरान अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने खुलेआम हथियारों का प्रशिक्षण दिए जाने की बात कही। उन्होंने सभी सिख संगठनों से एक प्लेटफार्म पर आने की भी अपील की।
नशे के कारण हो रही रही मौतों, पड़ोसी पाकिस्तान से आ रही नशे और हथियार बारूद की खेप, हिंदू-सिख संगठनों के बीच झड़प, पंजाब में खुफिया विभाग के दफ्तर पर हमला और अब सिद्धू मूसेवाला की हत्या के कारण पंजाब में माहौल बेहद गर्म है। इन वजहों से भगवंत मान सरकार भी बुरी तरह घिर गई है और विपक्षी दलों के निशाने पर है।
प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिख फ़ॉर जस्टिस ने 6 जून से खालिस्तान रेफरेंडम शुरू करने का एलान किया था। इसे देखते हुए भी पुलिस काफी सतर्क है।
क्यों हुआ था ऑपरेशन ब्लू स्टार?
1970-80 के दशक में पंजाब को भारत से अलग किए जाने यानी सिखों के लिए एक अलग देश (खालिस्तान) बनाने का आंदोलन जोरों पर था। इसके लिए चरमपंथी जरनैल सिंह भिंडरावाला के नेतृत्व में आंदोलन चल रहा था।
भिंडरावाला और अन्य चरमपंथियों ने स्वर्ण मंदिर पर कब्जा कर लिया था और बड़ी मात्रा में वहां गोला-बारूद इकट्ठा कर लिया था।
स्वर्ण मंदिर से सिख चरमपंथियों को बाहर निकालने के लिए ही ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेश पर सेना ने 3 से 8 जून 1984 तक यह ऑपरेशन चलाया था।
सेना ने चरमपंथियों पर टैंकों से गोलाबारी की लेकिन चरमपंथियों ने भी इसका जवाब दिया। सेना को आख़िरकार स्वर्ण मंदिर को खाली कराने में सफलता मिली। इस ऑपरेशन में बहुत ज़्यादा ख़ून-ख़राबा हुआ और स्वर्ण मंदिर को ख़ासा नुक़सान हुआ।
ऑपरेशन ब्लू स्टार में भारतीय सेना के 83 सैनिक मारे गए थे और 248 घायल हुए थे। इसके अलावा सैकड़ों लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई थी। इस घटना से सिख समुदाय में बेहद नाराज़गी थी जिसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों ने ही हत्या कर दी थी। इसके बाद पूरे देश में सिख विरोधी दंगे हुए थे।
खालिस्तान बनाने के मुद्दे को लेकर पंजाब लंबे समय तक लाशों की मंडी बना रहा और बड़ी मुश्किल से आतंकवाद के दंश से बाहर निकल पाया। लेकिन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और विदेश में बैठे खालिस्तानी आतंकवादी लगातार पंजाब का माहौल खराब करने में जुटे हुए हैं।
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