विपक्षी एकता की धुरी बनते जा रहे नीतीश कुमार 5 सितंबर सोमवार की शाम दिल्ली पहुंचे। दिल्ली आने के बाद नीतीश ने सबसे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात की। बिहार में नीतीश की गठबंधन सरकार में कांग्रेस शामिल है। विपक्ष की एकजुटता की चर्चाओं के मुताबिक कांग्रेस के प्रमुख नेता से यह मुलाकात महत्वपूर्ण मानी जा रही है। राहुल गांधी 7 सितंबर से भारत जोड़ो यात्रा पर निकलेंगे। नीतीश ने राहुल के व्यस्त कार्यक्रम को देखते हुए सोमवार की मुलाकात का दिन तय किया था।
दिल्ली पहुंचने के बाद पत्रकारों की पूरी फौज उनकी हर गतिविधि पर नजर रख रही है। राहुल की नीतीश से क्या बातचीत हुई, अभी इस बारे में दोनों तरफ से कुछ नहीं कहा गया है। नीतीश उनके आवास से बाहर निकले और मीडिया को कोई बाइट दिए बिना चले गए। लेकिन नीतीश ने दिल्ली में पहुंचने के बाद पत्रकारों के सवालों पर कहा कि मेरी प्रधानमंत्री बनने की कोई इच्छा नहीं है। बस, मैं विपक्षी एकता के लिए कोशिश कर रहा हूं। सभी दल एकसाथ आएं, बीजेपी से लड़ें। यह बेहतर होगा।
नीतीश की अभी सीपीएम नेता सीताराम येचुरी, एनसीपी के शरद पवार से भी मुलाकात होनी है। वो बीजू जनता दल के नेताओं से भी मिलेंगे। लेकिन दिल्ली में इन नेताओं की उपलब्धता को लेकर स्थिति साफ नहीं है। इसलिए जो-जो मिलेगा, नीतीश उससे मिलने खुद जाएंगे। इसके अलावा वो राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति से शिष्टाचार वाली मुलाकात करेंगे। फिलहाल प्रधानमंत्री से मिलने का कोई कार्यक्रम घोषित नहीं किया गया है।
दिल्ली रवाना होने से पहले नीतीश ने आरजेडी के संस्थापक लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की। उनका हालचाल पूछा और बताया कि वो दिल्ली किस मिशन पर जा रहे हैं। लालू ने उन्हें मकसद में कामयाब होने की शुभकामनाएं दीं।
इससे पहले रविवार को पटना में जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में नीतीश ने अपने बारे में फिर से सारे संशय दूर करने की कोशिश की। नीतीश कुमार ने रविवार को बैठक में कहा था कि वह अब कभी भी बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। एनडीए में वापस जाना एक बड़ी गलती थी। उस बैठक में नीतीश ने कहा कि सभी पूर्वी राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करनी चाहिए। सीएम ने दोहराया कि जेडीयू लंबे समय तक एनडीए का हिस्सा होने के बावजूद केंद्र सरकार बिहार को विशेष श्रेणी का दर्जा देने की मांग को ठुकराता रहा।
अपनी राय बतायें