खरी-खरी बात कहने के लिए जाने जाने वाले नितिन गडकरी ने देश में सड़क दुर्घटनाओं की स्थिति बदतर होने की बात कबूल की है। उन्होंने यह भी माना कि वह इसमें फ़ेल साबित हुए हैं। गडकरी ने यह भी स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं किया कि 'सड़क हादसों में भारत की स्थिति दुनिया में सबसे बदतर है और गंदे रिकॉर्ड के कारण विश्व सम्मेलनों में जाता हूँ तो मुँह छिपाता पड़ता है'।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री गडकरी ने कहा कि जब उन्होंने पहली बार सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री का कार्यभार संभाला था, तब उन्होंने दुर्घटनाओं में 50% कमी लाने का लक्ष्य रखा था। उन्होंने माना कि इसमें कमी आने की बजाए बढ़ोतरी हुई है और यह उनकी नाकामी है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य यह है कि देश में सड़क हादसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि 4 लाख 80 हज़ार 583 हादसे हुए।
गडकरी ने गुरुवार को कहा कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि हुई है और स्थिति में सुधार के लिए मानव व्यवहार में बदलाव लाना होगा। उन्होंने कहा, 'दुर्घटनाओं की संख्या में कमी की बात तो भूल ही जाइए, मुझे यह स्वीकार करने में कोई झिझक नहीं है कि इसमें वृद्धि हुई है। ...जब मैं सड़क दुर्घटनाओं पर चर्चा करने वाले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेने जाता हूं, तो मैं अपना चेहरा छिपाने की कोशिश करता हूं।'
संसद में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए गडकरी ने कहा कि हालात में सुधार के लिए भारत में मानवीय व्यवहार में बदलाव लाना होगा, समाज में बदलाव लाना होगा और कानून के शासन का सम्मान करना होगा। गडकरी ने कहा कि देश में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में 1.78 लाख लोगों की मौत होती है और इनमें से 60 प्रतिशत पीड़ित 18-34 वर्ष की आयु वर्ग के होते हैं।
एक निजी किस्सा साझा करते हुए मंत्री ने कई साल पहले उनके और उनके परिवार के साथ हुई एक बड़ी दुर्घटना को याद किया, जिसके लिए उन्हें लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था।
उन्होंने कहा, 'भगवान की कृपा से मैं और मेरा परिवार बच गए। इसलिए मुझे दुर्घटनाओं का अपना व्यक्तिगत अनुभव है।'
सड़क दुर्घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार सबसे बड़े कारणों की बात करते हुए गडकरी ने ट्रकों की ग़लत पार्किंग और लेन अनुशासन की कमी को प्रमुख मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि सड़कों पर बेतरतीब ढंग से खड़े ट्रकों के कारण कई दुर्घटनाएं होती हैं। सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए उन्होंने बस के बॉडी डिज़ाइन में अंतरराष्ट्रीय मानकों को अपनाने की घोषणा की। इसमें दुर्घटनाओं के दौरान आपातकालीन निकास के लिए खिड़कियों के पास बसों को हथौड़ों से लैस करना शामिल है।
गडकरी ने कहा कि नीति आयोग की रिपोर्ट है कि सड़क हादसों के शिकार 30 प्रतिशत लोगों की मौत जीवन रक्षक उपचार नहीं मिल पाने के कारण होती है। उन्होंने कहा, ‘इसलिए उपचार के लिए कैशलेस योजना लाई गई है। उत्तर प्रदेश में इस पायलट परियोजना की शुरुआत हो रही है, इसके बाद यह पूरे देश में लागू की जाएगी।’
उन्होंने भारत में ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की प्रणाली में सुधार की ज़रूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, ‘दुनिया में जहां आसानी से ड्राइविंग लाइसेंस मिलता है, उस देश का नाम भारत है। हम इसमें सुधार कर रहे हैं।’
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