केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा शुरू किए गए आर्थिक सुधारों के लिए देश उनका ऋणी रहेगा। नितिन गडकरी अपनी बातों को बिना किसी लाग लपेट के कहने के लिए जाने जाते हैं। गडकरी ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में कहा, “उदार अर्थव्यवस्था के कारण देश को नई दिशा मिली, उसके लिए देश मनमोहन सिंह का ऋणी है।” महाराष्ट्र से आने वाले गडकरी ने कहा कि मनमोहन सिंह के द्वारा शुरू किए गए आर्थिक सुधारों की वजह से ही वह महाराष्ट्र में मंत्री रहते हुए सड़कों के निर्माण के लिए धन जुटा सके।
उन्होंने कहा कि उदार आर्थिक नीतियां गरीबों और किसानों के लिए हैं। गडकरी ने कहा कि चीन इसका अच्छा उदाहरण है कि किस तरह से उदार आर्थिक नीतियां किसी देश के विकास में मददगार हो सकती हैं।
गडकरी सड़कों को लेकर अपने विजन और इस मामले में अपनी बेहतर समझ के लिए जाने जाते हैं और उनके विरोधी भी खुलकर उनकी तारीफ करते हैं। गडकरी उन मंत्रियों में शुमार हैं जिनका मोदी सरकार के पिछले साढ़े आठ सालों में ट्रैक रिकॉर्ड शानदार रहा है।
संसदीय बोर्ड से बाहर
इस साल अगस्त में नितिन गडकरी को बीजेपी की बेहद अहम केंद्रीय चुनाव समिति और संसदीय बोर्ड में जगह न मिलने के बाद जबरदस्त राजनीतिक चर्चा हुई थी। नितिन गडकरी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं और नागपुर से आते हैं, जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय है। महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में नितिन गडकरी को संसदीय बोर्ड से बाहर किए जाने को उनके डिमोशन के तौर पर देखा गया था जबकि देवेंद्र फडणवीस की एंट्री को उनका प्रमोशन माना गया था।
पिछले 8 सालों में देशभर में एक्सप्रेस वे, हाईवे का जाल बिछाकर बीजेपी के साथ ही विरोधी राजनीतिक दलों की भी तारीफ बटोरने वाले गडकरी ने कुछ महीने पहले कहा था कोई भी परफेक्ट नहीं है और कोई इस बात का दावा भी नहीं कर सकता कि वह परफेक्ट है। केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि अच्छाई व क्वालिटी पर किसी का पेटेंट नहीं है।
साल 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नितिन गडकरी ने कई बयान दिए थे। इन बयानों को लेकर यह चर्चा हुई थी कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह को आइना दिखाना चाहते हैं। हालांकि इस पर विवाद होने के बाद उन्होंने सफाई भी दी थी।
राजनीति से संन्यास की बात
जुलाई, 2022 में गडकरी ने कहा था कि देश की राजनीति इस कदर खराब हो गई है कि कभी-कभी उनका मन करता है कि वह राजनीति से संन्यास ले लें। गडकरी ने कहा था कि मौजूदा हालातों की राजनीति में और महात्मा गांधी के समय की राजनीति में बहुत अंतर आ गया है।
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