निर्भया सामूहिक बलात्कार कांड के चारों दोषियों को 3 मार्च को फांसी नहीं होगी। फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है। इससे पहले 17 फ़रवरी को अदालत ने तीसरी बाद दोषियों की फांसी को लेकर डेथ वारंट जारी किया था। सोमवार को एक दोषी पवन कुमार गुप्ता की ओर से पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि पवन ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की है इसलिये फांसी पर रोक लगा दी जाये।
फांसी टलने के बाद निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि दोषियों को फांसी देने के अपने ही आदेश का पालन करने में कोर्ट इतना समय क्यों ले रहा है। बार-बार फांसी का टलना इस बात को बताता है कि हमारी व्यवस्था फ़ेल हो चुकी है। उन्होंने कहा कि हमारी पूरी व्यवस्था अपराधियों का समर्थन करती है।
बता दें कि 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में चलती बस में निर्भया से छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था। 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी। इस जघन्य कांड के मुख्य अभियुक्त राम सिंह ने 11 मार्च, 2013 को तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी।
बस में अक्षय कुमार सिंह हेल्पर के रूप में काम करता था। अक्षय बलात्कार, हत्या और सबूत मिटाने का दोषी है। इसके अलावा जिम ट्रेनर विनय शर्मा, बस ड्राइवर मुकेश सिंह भी इस जघन्य कांड में शामिल थे। एक और दोषी पवन गुप्ता फल की दुकान लगाता था। एक दोषी जो नाबालिग था उसे तीन साल की जेल के बाद छोड़ दिया गया था।
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