राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जम्मू-कश्मीर के एक नेता को आतंकवादी संगठन हिज़बुल मुजाहिदीन से संबंध होने के आरोप में गिरफ़्तार किया है। इस नेता पर हिज़बुल के आतंकवादियों को हथियार सप्लाई करने का आरोप है।
यह गिरफ़्तारी जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी रहे दविंदर सिंह के मामले में चल रही जांच के दौरान मिली अहम जानकारी के बाद की गई है। दविंदर सिंह को इस साल जनवरी में हिज़बुल मुजाहिदीन के दो आतंकवादियों के साथ कार में पकड़ा गया था। इसके बाद दविंदर को नौकरी से निलंबित कर दिया गया था। तब सवाल उठे थे कि गणतंत्र दिवस से पहले दविंदर आतंकवादियों को दिल्ली क्यों ले जा रहा था।
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गिरफ़्तार किए गए नेता का नाम तारिक़ अहमद मीर है और वह कश्मीर के शोपियां जिले के वाची गांव का सरपंच है। मीर ने 2014 में बीजेपी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा था और दिसंबर, 2014 में श्रीनगर में हुई एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच भी साझा किया था।
मामले में विवाद बढ़ने के बाद बीजेपी की जम्मू-कश्मीर इकाई ने कहा है कि राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों से पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है और पार्टी तारिक़ को 2018 में ही बाहर का रास्ता दिखा चुकी है।
राज्य बीजेपी के प्रवक्ता अल्ताफ़ ठाकुर ने कहा कि हमें नहीं पता कि तारिक़ ने विधानसभा चुनाव में टिकट कैसे हासिल कर लिया। तारिक़ को गुरुवार को जम्मू स्थित एनआईए अदालत में पेश करने के बाद 6 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
नावीद बाबू ने लिया नाम!
तारिक़ का नाम हिज़बुल के आतंकवादी नावीद बाबू से पूछताछ के दौरान सामने आया है। दविंदर सिंह के साथ पकड़े गए दो आतंकवादियों में से एक नावीद बाबू भी था। नावीद बाबू को शोपियां में बेहद ख़तरनाक आतंकवादी माना जाता है और उस पर कई पुलिसकर्मियों और फल व्यापारियों की हत्या का आरोप है।
ख़बरों के मुताबिक़, नावीद बाबू ने ही जांचकर्ताओं को बताया कि तारिक़ हिज़बुल को हथियार और गोला-बारूद की सप्लाई करता था।
तारिक़ को सुरक्षा के तौर पर दो पुलिस अफ़सर भी मिले थे जबकि ख़ुफ़िया एजेंसियों ने तारिक़ के आतंकवादियों से संबंध होने की संभावना की रिपोर्ट दी थी। इसके बाद उससे सुरक्षा वापस ले ली गई थी।
अधिकारियों का कहना है कि जांच के दौरान मिल रही जानकारियों से यह पता चलता है कि दविंदर के आतंकवादियों के साथ गहरे संबंध थे। दविंदर के साथ पकड़े गए आतंकवादी उसके श्रीनगर स्थित घर पर भी रुके थे। 2001 में संसद पर हुए हमले के दोषी अफज़ल गुरू ने भी दविंदर सिंह का नाम लिया था।
दविंदर सिंह पर यह भी आरोप हैं कि उसने ही अफज़ल गुरू को दिल्ली भेजा था और संसद पर हुए हमले के लिए साजो-सामान जुटाया था। फांसी से पहले अफज़ल गुरू ने एक ख़त लिखा था जिसमें उसने कहा था कि दविंदर सिंह ने उससे संसद पर हमले के दोषियों का साथ देने के लिए कहा था।
दविंदर सिंह की गिरफ़्तारी को लेकर कांग्रेस काफी मुखर रही थी। तब राहुल गांधी ने पूछा था कि दविंदर की गिरफ़्तारी पर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और एनएसए चुप क्यों हैं? राहुल ने पूछा था, ‘पुलवामा हमले में दविंदर सिंह की क्या भूमिका थी? उसने कितने आतंकियों की सहायता की और उसे कौन और क्यों बचा रहा था?’
बीजेपी ने तारिक़ अहमद मीर से तुरंत पल्ला तो झाड़ लिया है लेकिन अगर तारिक़ का संबंध किसी और दल से रहा होता तो बीजेपी के नेता मिनटों के अंदर पाकिस्तान में सक्रिय तमाम आतंकवादी संगठनों से उसके तार जोड़ देते और उसे देशद्रोही, पाकिस्तान परस्त घोषित कर देते।
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