केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET-UG में पेपर लीक के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इसका कोई सबूत नहीं है। डीएमके ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा कि दक्षिण भारत में इस परीक्षा के दौरान तो इतनी कड़ाई होती है कि छात्र परीक्षा हॉल के अंदर अपना सामान भी नहीं ले जा सकते हैं।
केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एमबीबीएस, बीडीएस और अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए 1,563 नीट-यूजी 2024 उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स देने का निर्णय रद्द कर दिया गया है और उन्हें 23 जून को दोबारा परीक्षा देने का विकल्प दिया जाएगा। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में नीट पेपर लीक होने और ग्रेस मार्क्स दिए जाने को लेकर कई याचिकाएं दायर की गई हैं। गुरुवार को जब इस मामले में नई याचिका की सुनवाई हो रही थी तो सरकार ने अदालत को ग्रेस मार्क्स रद्द किए जाने की जानकारी दी।
सुप्रीम कोर्ट की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रधान ने पत्रकारों से कहा- "एनईईटी-यूजी में पेपर लीक का कोई सबूत नहीं है। एनटीए में भ्रष्टाचार के आरोप निराधार हैं, यह एक बहुत विश्वसनीय संस्था है।" उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है और हम उसके फैसले का पालन करेंगे। हम सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी छात्र को नुकसान न हो।"
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इसके बाद इस विवाद में डीएमके भी कूद पड़ी। चेन्नई सेंट्रल से मौजूदा डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने पूरे मामले में उत्तर बनाम दक्षिण का मोड़ ला दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री मारन ने दावा किया कि दक्षिणी राज्यों में छात्र परीक्षा हॉल के अंदर अपना सामान भी नहीं ले जा सकते हैं।
दयानिधि मारन ने कहा- "उत्तर भारत में छात्रों को नकल करने में उनके माता-पिता ही मदद करते हैं। छात्रों को अच्छे अंक भी मिल रहे हैं। हम ईमानदार हैं। लेकिन आज नीट एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है। देश भर में लोग अब नीट के खिलाफ बोल रहे हैं।"
पूर्व केंद्रीय मंत्री और डीएमके नेता मारन ने राजस्थान और तमिलनाडु में नीट से जुड़ी आत्महत्याओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा- "युवा छात्र जो विशेष रूप से नीट एंट्रेंस की पढ़ाई के लिए आते हैं, इस परीक्षा के कारण आत्महत्या कर लेते हैं। आप जानते हैं कि भाजपा सरकार ने इस समस्या को हल करने के लिए क्या किया? वे छात्रों की आत्महत्या को रोकने के लिए छत के पंखों में स्प्रिंग लगा रहे हैं।"
मारन ने इस बात पर चुटकी ली कि छात्रों को कथित तौर पर ग्रेस मार्क्स इसलिए दिए गए क्योंकि छात्र समय पर पेपर पूरा नहीं कर पाए थे। (हालांकि अब केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ग्रेस मार्क्स को रद्द कर दिया है)
मारन का यह आरोप गंभीर है कि उत्तर भारत में माता-पिता छात्रों को नकल करने में मदद करते हैं। नीट का ताजा विवाद भी उत्तर भारत को लेकर है। क्योंकि रैंक 1 लाने वाले छात्र-छात्राएं उत्तर भारत से हैं। जिनमें झज्जर (हरियाणा) के एक ही सेंटर के कई छात्र हैं। उन्हें 720 में से पूरे 720 मार्क्स मिले, जिनमें ग्रेस मार्क्स भी शामिल है।
डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन भी नीट को लेकर इससे पहले कड़ा बयान दे चुके हैं। स्टालिन ने कहा कि तमाम आरोपों ने एक बार फिर परीक्षा के प्रति हमारे सैद्धांतिक विरोध को सही साबित कर दिया है। पेपर लीक, विशिष्ट केंद्रों पर टॉपर्स की क्लस्टरिंग और ग्रेस मार्क्स की आड़ में अंक प्रदान करना, जो गणित के हिसाब से असंभव है, ने बता दिया कि नीट परीक्षा कैसे होती है।
स्टालिन ने कहा कि हम इस बात को दोहराते हैं कि नीट और अन्य प्रवेश परीक्षाएं गरीब विरोधी हैं। वे फेडरल सिस्टम की राजनीति को कमज़ोर करते हैं। वे सामाजिक न्याय के ख़िलाफ़ हैं। वे योग्य क्षेत्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता को प्रभावित करते हैं।
नीट में धांधली के मुद्दे को कांग्रेस भी जोर शोर से उठा सकी है। अभी हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि वे इस मामले को संसद में उठाएंगे। अब गुरुवार को डीएमके के रुख से जाहिर हो गया कि 24 जून से शुरू होने वाले संसद के पहले सत्र में ही यह मुद्दा जोरशोर से उठ सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी इस पर बोल चुके हैं।
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