भारत के ‘मिशन शक्ति’ पर टिप्पणी करते हुए चीन ने बुधवार को उम्मीद जताई कि सभी देश अंतरिक्ष में शांति बनाए रखेंगे। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमने इस बारे में आई ख़बरों पर ग़ौर किया है और आशा करते हैं कि सभी देश अंतरिक्ष में शांति बनाए रखेंगे।
दूसरी ओर पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा, ‘अंतरिक्ष हमारी साझी विरासत है और हर देश की ज़िम्मेदारी है कि वह ऐसे कामों से बचे जिससे इस क्षेत्र का सैन्यीकरण होता हो।’ विदेश मंत्री ने कहा कि वे उम्मीद करते हैं कि पूर्व में जिन देशों ने अंतरिक्ष के सैन्यीकरण की गतिविधियों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई है, वे इस बार भी आवाज़ उठाएँगे। हालाँकि पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से भारत का नाम नहीं लिया गया है।
Prime Minister @ImranKhanPTI today chaired a high level meeting at Prime Minister’s Office; Security matters were discussed during the meeting pic.twitter.com/kExrixExy5
— Radio Pakistan (@RadioPakistan) March 27, 2019
बता दें कि अमेरिका ने पहला एंटी सैटेलाइट टेस्ट 1959 में किया था। उस समय में सैटेलाइट होना नई बात थी। इसके कुछ समय बाद ही सोवियत यूनियन ने 1960 और 1970 में यह टेस्ट किया। 2007 में चीन ने टेस्ट करते हुए अपने मौसम की जानकारी देने वाले उपग्रह को नष्ट किया था। इस टेस्ट में इतिहास का सबसे ज़्यादा मलबा बना था। इस टेस्ट को अब तक का सबसे विध्वंसकारी टेस्ट माना जाता है।
मलबे पर भारत ने दिया जवाब
ऐंटी सैटेलाइट टेस्ट से निकला मलबा दूसरी सैटेलाइट और स्पेसक्राफ़्ट के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है। बताया जाता है कि मलबे के छोटे-छोटे कण अंतरिक्ष में राइफ़ल बुलेट से भी ज़्यादा नुक़सान पहुँचा सकते हैं।
इस बारे में उठ रही शंकाओं का जवाब देते हुए भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने इस टेस्ट को काफ़ी नीचे किया है, ताकि इस बात को पूरी तरह सुनिश्चित किया जा सके कि इससे निकला मलबा अंतरिक्ष में न रहे और जो बचा हुआ मलबा कुछ हफ़्तों में धरती पर आ जाए या नष्ट हो जाए।
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