जब से फ़र्जी ढंग से टीआरपी बढ़ाने और इसमें रिपब्लिक टीवी के शामिल होने की बात सामने आई है, पूरी मीडिया इंडस्ट्री सवालों के घेरे में है। इसे लेकर मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी से जुड़े कई लोगों से पूछताछ की और कुछ दिन पहले पूरी संपादकीय टीम के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करा दी।
अब एक और जोरदार ख़ुलासा टीआरपी घोटाले में हुआ है। मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सोमवार को एक स्थानीय अदालत को बताया है कि इस मामले में अभियुक्त एक शख़्स ने स्वीकार किया है कि उसे एक दूसरा अभियुक्त हर महीने 15 लाख रुपये देता था।
पैसे लेने वाले शख़्स का नाम अभिषेक कोलावडे है और वह मुंबई में मैक्स मीडिया नाम की मार्केटिंग फ़र्म चलाता है। कोलावडे को यह रकम आशीष चौधरी देता था और यह रिपब्लिक टीवी की व्यूवरशिप के आंकड़ों को बढ़ाने के लिए घरों के चयन के लिए दी जाती थी।
आशीष का नाम कोलावडे से पूछताछ के दौरान सामने आया था और उसे 28 अक्टूबर को गिरफ़्तार किया गया था।
आशीष चौधरी क्रिस्टल ब्रॉडकास्ट नाम की कंपनी चलाता है। पुलिस ने जो अर्जी अदालत में दाखिल की है, उसके मुताबिक़, आशीष ने कहा है कि उसे हवाला ऑपरेटर्स के जरिये पैसा मिलता था। टाइम्स ऑफ़ इंडिया (टीओआई) के मुताबिक़, पुलिस ने हवाला ऑपरेटर्स के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं दी और कहा कि अभी जांच जारी है।
टीआरपी घोटाले पर देखिए चर्चा-
पुलिस ने कोलावडे और आशीष की रिमांड के लिए दायर अर्जी में कहा है कि कोलावडे को आशीष चौधरी से हर महीने 15 लाख रुपये मिलते थे।
पुलिस के अनुसार, कोलावडे ने कहा है कि वह इस रकम को रामजी वर्मा, दिनेश विश्वकर्मा और उमेश मिश्रा को भी बांटता था। ये तीनों वे लोग हैं, जिनके घरों में बार-ओ-मीटर लगे थे और उन्हें रिपब्लिक टीवी को लंबे समय तक अपने घरों में चालू रखने के लिए पैसे दिए जाते थे।
रिमांड के लिए दायर अर्जी में यह भी कहा गया है कि जांच के दौरान कोलावडे ने इस बात को भी स्वीकार किया है कि उसे वाउ म्यूजिक चैनल और रिपब्लिक भारत हिंदी न्यूज़ चैनल के अधिकारियों से 2017 से जुलाई 2020 के बीच पैसा मिला था।
टीओआई के मुताबिक़, एक पुलिस अफ़सर ने कहा कि कोलावडे के घर से तलाशी लेने पर 11.7 लाख रुपये मिले हैं। इसके अलावा 2 लाख रुपये आशीष के ठाणे स्थित दफ़्तर से मिले हैं।
अदालत ने इस अर्जी को पढ़ने के बाद आशीष को न्यायिक हिरासत में भेज दिया और कोलावडे की पुलिस हिरासत को 5 नवंबर तक के लिए बढ़ा दिया।
मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच रिपब्लिक टीवी, फकत मराठी, बॉक्स सिनेमा, न्यूज़ नेशन, महा मूवीज और वाउ चैनल के दर्शकों की संख्या के आंकड़े बढ़ने को लेकर जांच कर रही है।
महाराष्ट्र सहित देश भर में इन दिनों टीआरपी घोटाले को लेकर जबरदस्त शोर है। पिछले महीने मुंबई पुलिस के आयुक्त परमबीर सिंह ने फ़र्जी टीआरपी घोटाले की बात कहकर मीडिया इंडस्ट्री में भूचाल ला दिया था। इस घोटाले में रिपब्लिक टीवी समेत 3 टीवी चैनलों का नाम सामने आया था। टीआरपी मापने वाले संगठन बार्क ने हंसा रिसर्च ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी।
मुंबई पुलिस की मानें तो टीआरपी में हेरफेर का यह मामला सिर्फ मुंबई और महाराष्ट्र तक ही सीमित नहीं है और इसकी जड़ें कई अन्य राज्यों तक भी फैली हुई हैं।
मुंबई पुलिस और रिपब्लिक टीवी के बीच जारी जंग कुछ दिन पहले तब बहुत बढ़ गई थी, जब रिपब्लिक टीवी की संपादकीय टीम के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कर लिया गया था।
मुंबई पुलिस ने मराठी चैनलों 'फकत मराठी’ और 'बॉक्स सिनेमा' के अकाउंटेंट और कुछ विज्ञापन एजेंसियों के लोगों को भी तलब किया था।
पुलिसकर्मियों को भड़काने का आरोप
एफ़आईआर में शिकायतकर्ता पवार ने आरोप लगाया था कि रिपब्लिक टीवी की ओर से एक ख़बर चलाई गई थी, जिसमें मुंबई महानगर के पुलिसकर्मियों के बीच असंतोष भड़काने की कोशिश की गई और मुंबई पुलिस की मानहानि भी की गई।
पवार के मुताबिक़, 22 अक्टूबर को शाम 7 बजे एंकर शिवानी गुप्ता ने चैनल के एक कार्यक्रम में कहा कि परमबीर सिंह पुलिस फ़ोर्स का नाम बदनाम कर रहे हैं और अपने निजी स्वार्थों को पूरा करने के लिए पुलिस से मिली ताक़त का इस्तेमाल कर रहे हैं। पवार के मुताबिक़, एंकर ने यह भी कहा कि कई अफ़सर उनसे ख़ुश नहीं हैं।
रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ़ अर्णब गोस्वामी ने कहा था कि चैनल के एक हज़ार मीडियाकर्मियों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है।
अदालत की तगड़ी फटकार
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में रिपोर्टिंग के तरीके को लेकर रिपब्लिक चैनल को हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने तगड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा था कि खोजी पत्रकारिता करने का अधिकार सबको है लेकिन वह करते हुए नियम-क़ायदों का एक दायरा है जिसका उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
अदालत ने रिपब्लिक टीवी के वकील से कहा था, ‘क्या आपको नहीं पता कि हमारे संविधान में जांच का अधिकार पुलिस को दिया गया है? आत्महत्या के मामले के नियम क्या आप लोगों को नहीं पता हैं? यदि नहीं पता हैं तो सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) के नियमों को पढ़ लीजिये।’
अदालत ने आगे कहा था, ‘जब किसी मामले की जांच चल रही है कि वह आत्महत्या है या हत्या? ऐसे में क्या आप अपने चैनल से चिल्ला-चिल्लाकर कह सकते हैं कि यह हत्या है? आप ‘रिया चक्रवर्ती को गिरफ्तार करो’ की मुहिम अपने चैनल के माध्यम से या सोशल मीडिया पर कैसे चला सकते हैं? यह किस प्रकार की खोजी पत्रकारिता है?’
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