प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ के शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए उज्बेकिस्तान के समरकंद की यात्रा पर जाएँगे। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से यह ख़बर दी है। 15 और 16 सितंबर को होने वाले उस सम्मेलन में चीन के प्रीमियर शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ़ जैसे नेताओं के भी शामिल होने की संभावना है। इस शिखर सम्मेलन में इन देशों के प्रमुखों के बीच द्विपक्षीय वार्ता होने की भी संभावना है। क्या ये मुलाक़ातें अहम साबित होंगी?
ये मुलाक़ातें भारत के लिए अहम हो सकती हैं क्योंकि पाकिस्तान और चीन के साथ रिश्ते बड़े टकराव पूर्ण रहे हैं और हाल में स्थिति कुछ बदलती हुई दिख रही है। गोगरा और हॉटस्प्रिंग के इलाकों में भारत और चीन की सेनाएं पीछे हट रही हैं। इधर, पाकिस्तान में नयी सरकार बनने के बाद सकारात्मक टिप्पणियाँ आ रही हैं।
गोगरा और हॉटस्प्रिंग के इलाक़ों में भारत और चीन की सेनाओं के पीछे हटने को लेकर सहमति बनने और इसकी प्रक्रिया शुरू होने की ख़बर तीन दिन पहले ही आई थी। दोनों देशों की सेनाएँ इस प्रक्रिया को 12 सितंबर तक पूरा कर लेंगी। भारत के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर यह बात कही। गुरुवार को ही दोनों देशों की सेनाओं ने घोषणा की थी कि उन्होंने गोगरा और हॉटस्प्रिंग के इलाकों के पेट्रोलिंग पॉइंट 15 से पीछे हटने का काम शुरू कर दिया। गलवान की झड़प के बाद से ही यहां पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने थीं।
साल 2020 मई में पूर्वी लद्दाख के गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच जबरदस्त हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे जबकि चीन लंबे वक्त तक इस बात से इनकार करता रहा कि गलवान में हुई झड़प में उसके किसी सैनिक की मौत हुई है लेकिन बाद में उसने स्वीकार किया था कि उसके 4 सैनिक इस झड़प में मारे गए। फरवरी 2022 में एक ऑस्ट्रेलियाई अखबार 'द क्लैक्सन' ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में चीन के 38 जवान मारे गए थे।
इधर एक अन्य पड़ोसी पाकिस्तान की तरफ़ से भी हाल ही में सकारात्मक टिप्पणी आई है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पिछले महीने ही कहा था कि पाकिस्तान बातचीत के माध्यम से भारत के साथ 'स्थायी शांति' चाहता है क्योंकि युद्ध किसी भी देश के लिए कश्मीर मुद्दे को हल करने का विकल्प नहीं है।
5 अगस्त 2019 को भारत द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद भारत व पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ गया था।
बहरहाल, जून 2019 में किर्गिस्तान के बिश्केक में हुए एससीओ के सम्मेलन के बाद यह पहला ऐसा शिखर सम्मेलन होगा जब इसके नेता आमने-सामने बात करेंगे। एससीओ जून 2001 में शंघाई में स्थापित एक अंतर-सरकारी संगठन है। वर्तमान में इसके आठ सदस्य- चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान शामिल हैं।
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि मौजूदा यात्रा कार्यक्रम के अनुसार प्रधानमंत्री के 14 सितंबर को समरकंद पहुंचने और 16 सितंबर को लौटने की संभावना है।
शिखर सम्मेलन में भारत की मौजूदगी अहम है क्योंकि यह समरकंद शिखर सम्मेलन के अंत में एससीओ की अध्यक्षता ग्रहण करेगा और सितंबर 2023 तक एक साल के लिए समूह की अध्यक्षता करेगा। इसी के तहत अगले साल भारत एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।
समरकंद में होने वाले इस साल के शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और ईरानी राष्ट्रपति अब्राहिम रायसी शिखर सम्मेलन में शामिल हो सकते हैं। हालाँकि, नेताओं के सम्मेलन में शामिल होने को लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।
आखिरी बार जब मोदी और शी जिनपिंग आमने-सामने मिले थे तब उनकी द्विपक्षीय बैठक नवंबर 2019 में ब्राजील में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच सैन्य टकराव के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों को झटका लगा था।
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