तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर ने कहा है कि वह अपना काम उसी तरह करेंगे जिस तरह वह पहले किया करते थे। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से लगाए गए इस तरह के आरोप पर कि उन्हें उनके ट्वीट के लिए 2 करोड़ रुपये मिले, ज़ुबैर ने कहा कि जांच के दौरान उनसे इस बारे में किसी ने नहीं पूछा।
बता दें कि मोहम्मद ज़ुबैर को 27 जून को दिल्ली पुलिस ने उनके 2018 में किए गए एक ट्वीट के मामले में गिरफ्तार किया था। ज़ुबैर 24 दिन बाद 20 जुलाई को जेल से बाहर आए थे।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद ने कहा था कि ज़ुबैर को उनके ट्वीट के लिए रुपए मिलते हैं। एडिशनल एडवोकेट जनरल ने कहा था कि यह बात ज़ुबैर ने स्वीकार की है कि वह जितने दुर्भावनापूर्ण ट्वीट करते हैं उतना ही ज्यादा पैसा उन्हें मिलता है। उन्होंने कहा था कि ज़ुबैर को 2 करोड़ रुपये से ज्यादा मिल चुके हैं।
एनडीटीवी के मुताबिक़, ज़ुबैर ने इस बात को भी कहा है कि पुलिस ने उन्हें किसी तरह प्रताड़ित नहीं किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है इसलिए वह पहले की तरह ही काम करते रहेंगे।
ज़ुबैर को सुप्रीम कोर्ट से रिहाई देने वाली जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा था कि पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने की ताकत का संयम से इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
ज़ुबैर के खिलाफ उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और हाथरस में कुल मिलाकर 6 एफआईआर दर्ज हैं।
अदालत की अहम टिप्पणी
ज़ुबैर के मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने उत्तर प्रदेश सरकार की एडिशनल एडवोकेट जनरल से कहा था, “अदालत यह नहीं कह सकती कि ज़ुबैर फिर से ट्वीट नहीं करेंगे, यह वैसा ही होगा जैसे एक वकील से कहा जाए कि आप बहस नहीं कर सकते। हम किसी पत्रकार से कैसे कह सकते हैं कि वह नहीं लिखेंगे और अगर कोई ट्वीट कानून के खिलाफ होगा तो वह उसके लिए खुद जवाबदेह होंगे।”
एसआईटी को भंग किया
अदालत ने अपने आदेश में ज़ुबैर के खिलाफ दर्ज एफआईआर की जांच के लिए बनी एसआईटी को भंग कर दिया था। अदालत ने ज़ुबैर के खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को क्लब करने का भी आदेश दिया और कहा कि यह सभी मामले दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को देखने चाहिए। बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने ज़ुबैर के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच के लिए एसआईटी गठित की थी।
अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि उत्तर प्रदेश पुलिस के द्वारा दर्ज की गई सभी एफआईआर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को ट्रांसफर किए जाने का निर्देश भविष्य में ज़ुबैर के ट्वीट को लेकर दर्ज होने वाली सभी एफआईआर पर भी लागू होगा। अदालत ने कहा था कि भविष्य में दर्ज होने वाली सभी एफआईआर में भी ज़ुबैर जमानत के हकदार होंगे।
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