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यूपीए को स्वस्थ अर्थव्यवस्था मिली थी, संकट में छोड़ दिया: केंद्र का श्वेत पत्र

लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी ने श्वेत पत्र के माध्यम से कांग्रेस पर चौतरफा हमला किया है। मोदी सरकार ने संसद में 59 पेज का श्वेत पत्र पेश कर यूपीए सरकार पर बड़े आरोप लगाए हैं। इसने कहा है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को अर्थव्यवस्था विरासत में स्वस्थ हालत में मिली थी, लेकिन इसने इसको संकट में छोड़ दिया था।

मोदी सरकार ने यूपीए के 10 वर्षों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दस साल पर अपना तुलनात्मक श्वेत पत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है, 'यूपीए सरकार को एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी, लेकिन 10 वर्षों में इसे नॉन-परफॉर्मिंग यानी गैर-निष्पादित अर्थव्यवस्था बना दिया गया।' इसने यूपीए सरकार पर सार्वजनिक वित्त के कुप्रबंधन, अदूरदर्शी प्रबंधन और व्यापक आर्थिक नींव को कमजोर करने का आरोप लगाया। आरोप लगाया गया कि सरकार ने उन सिद्धांतों को त्याग दिया जो आर्थिक उदारीकरण लाए थे।

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सरकार ने अपने बयान में कहा, '2014 में जब हमने सरकार बनाई थी तब अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में थी; सार्वजनिक वित्त खराब स्थिति में था; आर्थिक कुप्रबंधन और वित्तीय अनुशासनहीनता थी और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार था। यह एक संकट की स्थिति थी।' इसमें कहा गया कि अर्थव्यवस्था को चरण दर चरण सुधारने और शासन प्रणाली को व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी थी।

श्वेत पत्र में कहा गया है, '2004 में जब यूपीए सरकार ने अपना कार्यकाल शुरू किया था तो विश्व आर्थिक मंदी के माहौल के बीच अर्थव्यवस्था 8 प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी (उद्योग और सेवा क्षेत्र की वृद्धि 7 प्रतिशत से अधिक थी और वित्त वर्ष 2004 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि 9 प्रतिशत से ऊपर थी)। बयान में कहा गया है कि 2004 में एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था विरासत में मिलने के बाद यूपीए सरकार विकास को गति देने में विफल रही।

श्वेत पत्र में कहा गया, 'विडंबना यह है कि यूपीए नेतृत्व, जो शायद ही कभी 1991 के सुधारों का श्रेय लेने में विफल रहता है, ने 2004 में सत्ता में आने के बाद उन्हें छोड़ दिया।' सरकार ने यह भी कहा कि 'पिछली एनडीए सरकार द्वारा रखी गई मजबूत नींव पर निर्माण करने के लिए यूपीए सरकार द्वारा बहुत कम काम किया गया था।'
श्वेत पत्र ने पिछली यूपीए सरकार के तहत कई अन्य आर्थिक विफलताओं को बताया है, जिसमें दोहरे अंक की मुद्रास्फीति, सार्वजनिक वित्त का कुप्रबंधन और विदेशी मुद्रा संकट शामिल हैं।

सरकार ने अपने श्वेत पत्र में कहा कि यूपीए सरकार के शासन का एक दशक नीतिगत दुस्साहस और घोटालों से भरा रहा।

सरकार ने श्वेत पत्र में यह बताया है कि कैसे उसने भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट की स्थिति से उबारा। इसने कहा है, 'जब एनडीए सरकार ने 2014 में सत्ता संभाली तो अर्थव्यवस्था खराब स्थिति में थी, बल्कि संकट में थी। हमें एक दशक से कुप्रबंधित अर्थव्यवस्था को ठीक करने और इसके बुनियादी सिद्धांतों को बेहतर करने की भारी चुनौती का सामना करना पड़ा।'

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इसमें यह भी कहा गया कि पिछले दशक में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के तहत भारतीय अर्थव्यवस्था कैसे मजबूत होकर उभरी है और अब इसे दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता है। श्वेत पत्र में कहा गया है, "तब हम 'नाजुक पांच' अर्थव्यवस्थाओं में से थे; अब, हम 'शीर्ष पांच' अर्थव्यवस्थाओं में से हैं, जो हर साल वैश्विक विकास में तीसरा सबसे बड़ा योगदान दे रहे हैं।"

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क़मर वहीद नक़वी
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