सरकार ने बुधवार को अक्टूबर से शुरू होने वाले 2023-24 सीज़न के लिए उचित और लाभकारी मूल्य यानी एफआरपी 10 रुपये बढ़ाकर 315 रुपये प्रति क्विंटल कर दी। एफआरपी गन्ना उत्पादकों को मिलों द्वारा दी जाने वाली न्यूनतम कीमत होती है। यह न्यूनतम समर्थन मूल्य की तरह है।
लेकिन यह इस मायने में अलग है कि एफ़आरपी सरकार की ओर से तय किया गया मूल्य है, जिस पर मिलें किसानों से खरीदे गए गन्ने का भुगतान कानूनी रूप से करने के लिए बाध्य हैं। एफआरपी में बढ़ोतरी से हमेशा देश के सभी किसानों को फायदा नहीं हो पाता। दरअसल, कुछ राज्यों में एफआरपी के अलावे गन्ने की पैदावार के लिए राज्य समर्थित मूल्य यानी एसएपी भी तय किया जाता है। उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा राज्य के किसान अपनी फ़सल के लिए एसएपी तय करते हैं। आम तौर पर पर एसएपी का मूल्य केंद्र सरकार के एफआरपी मूल्य से अधिक होता है।
गन्ने की एफआरपी बढ़ाने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में लिया गया। 2023-24 सीजन के लिए गन्ने का एफआरपी 315 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। पिछले साल गन्ने का एफआरपी 305 रुपये प्रति क्विंटल था। सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट बैठक के बाद संवाददाताओं के सामने इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सदैव अन्नदाता के साथ रहे हैं। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि सरकार ने कृषि और किसानों को प्राथमिकता दी है।
अनुराग ठाकुर ने कहा, 'गन्ने का एफ़आरपी, जो 2014-15 सीजन में 210 रुपये प्रति क्विंटल था, अब 2023-24 सीजन के लिए बढ़ाकर 315 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।'
उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि कैबिनेट ने वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई योजना पीएम-प्रणाम को भी मंजूरी दी है। योजना के तहत केंद्र राज्यों को प्रोत्साहित करेगा कि वे वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा दें और रासायनिक उर्वरकों को कम करें। इस योजना की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को 2023-24 के बजट के दौरान की थी।
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