अपने राजनीतिक विरोधियों के ख़िलाफ़ जाँच कराने वाली सरकार क्या अपने निशाने पर उन संस्थाओं को भी लेने लगी है, जो उसकी आलोचना करते हैं? क्या मोदी सरकार अपनी आलोचनाओं से इस तरह घबराई हुई है कि वह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों तक को नहीं बख़्शती है? एमनेस्टी इंटरनेशनल पर सीबीआई छापे के बाद ये सवाल अधिक तल्ख़ी से पूछे जाने लगे हैं।