प्रधानमंत्री मोदी रविवार को आरएसएस मुख्यालय पहुंचे। यह अपनी तरह का पहला दौरा है, जब कोई प्रधानमंत्री वहां पहुंचा है। इससे पहले मोदी दीक्षाभूमि भी गए, जहां डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने 1956 में बौद्ध धर्म अपनाया था। इस दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदू नव वर्ष की शुरुआत के अवसर पर संघ के प्रतिपदा कार्यक्रम के लिए नागपुर पहुंचे हैं। हालांकि मोदी के इस दौरे का मकसद राजनीति से अलग नहीं है।
पीएम मोदी ने आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और दूसरे सरसंघचालक (प्रमुख) एम एस गोलवलकर को समर्पित स्मृति मंदिर की अपनी यात्रा के दौरान वहां हिंदी में एक संदेश लिखा। मोदी ने लिखा- “आरएसएस के दो मजबूत स्तंभों का स्मारक उन लाखों स्वयंसेवकों के लिए प्रेरणा है, जिन्होंने खुद को राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि वह स्मारकों की यात्रा के दौरान “अभिभूत” थे।
मोदी ने आखिरी बार 2013 में एक बैठक के लिए आरएसएस मुख्यालय का दौरा किया था, जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर रहे थे। 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा और संघ के बीच तनाव को देखते हुए यह यात्रा महत्वपूर्ण है। भाजपा प्रमुख जे पी नड्डा ने उसी लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि पार्टी को अब आरएसएस के सहारे की आवश्यकता नहीं है। तब से संघ और भाजपा दोनों ने अपने संबंधों को सुधारने की कोशिश की है।
हालांकि, लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत न मिलने और आरएसएस के सीमित सक्रिय समर्थन को इसके लिए जिम्मेदार माना गया। उसके बाद हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली के विधानसभा चुनाव में संघ ने बीजेपी को चुनाव जीतने में मदद की। उसके बाद दोनों संगठनों (बीजेपी-संघ) के बीच संवाद और समन्वय तेज हो गया। मोदी उसी मजबूती को आगे बढ़ाने गए हैं। यह दिखाता है कि बीजेपी अपनी वैचारिक जड़ों से दूरी नहीं बनाना चाहती।
बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति अप्रैल 2025 में होने की संभावना है। जे.पी. नड्डा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद यह फैसला महत्वपूर्ण होगा। नागपुर में मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बीच मुलाकात को इस नियुक्ति पर चर्चा से जोड़ा जा रहा है। यह दौरा संकेत देता है कि आरएसएस का इस प्रक्रिया में प्रभाव बना रहेगा। संघ के रुख की वजह से ही बीजेपी अभी तक अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष तय नहीं कर पाई है।
महाराष्ट्र बीजेपी के लिए एक प्रमुख राज्य है, जहां हाल के वर्षों में उसकी स्थिति चुनौतीपूर्ण रही है। इस दौरे के जरिए मोदी ने न केवल आरएसएस के कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने का प्रयास किया, बल्कि राज्य में पार्टी के आधार को मजबूत करने का संदेश भी दिया। दीक्षाभूमि का दौरा दलित समुदाय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो महाराष्ट्र और देशव्यापी राजनीति में महत्वपूर्ण है।
हिन्दुत्व का प्रदर्शन
हालांकि कोई भी प्रधानमंत्री भारत के हर धर्म, जाति, समुदाय के लिए काम करता है। लेकिन बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से उसके तमाम नेता खुद को हिन्दुत्व से जोड़ने का कोई मौका नहीं आने देता। मोदी भी उससे पीछे नहीं हैं। प्रधानमंत्री मोदी खुलकर हिन्दुत्व का प्रचार कर रहे हैं, हिन्दुत्व विचारधारा के आसपास ही उनके भाषण होते हैं। आरएसएस मुख्यालय जाना भी हिंदुत्व की विचारधारा के एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्रतीक है। यह बीजेपी की रणनीति को मजबूत करता है, जिसमें वह अपनी वैचारिक पहचान को बनाए रखना चाहती है।आरएसएस अपने 100 साल पूरे करने जा रहा है और इस मौके पर बड़े पैमाने पर संगठनात्मक और सामाजिक कार्यक्रमों की योजना बना रहा है। मोदी का यह दौरा इसे राजनीतिक समर्थन और व्यापक पहचान देने का संकेत है। जिससे संगठन का प्रभाव बीजेपी में और बढ़ सकता है।
नागपुर में डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर और दीक्षाभूमि का दौरा करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माधव नेत्रालय प्रीमियम सेंटर भवन की आधारशिला रखी। यह भवन माधव नेत्रालय नेत्र संस्थान और अनुसंधान केंद्र का विस्तार है, जो नागपुर में एक प्रमुख नेत्र चिकित्सा सुविधा है जिसे 2014 में स्थापित किया गया था। इस संस्थान की स्थापना आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक एम एस गोलवलकर की स्मृति में की गई थी, जिन्होंने संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का स्थान लिया था। उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री के साथ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे।
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