बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली नाबालिग पहलवान ने अपना बयान क्यों बदला? क्या उसने पहले किसी दबाव में आरोप लगाया था या फिर अब कुछ और बात हो गई? ऐसे ही उठते सवालों के बीच अब उस नाबालिग महिला पहलवान के पिता की सफ़ाई आई है। उन्होंने इन दोनों बयानों के लिए खुद पर ही ज़िम्मेदारी ली है यानी उन दोनों ही बयानों को लिए उन्होंने किसी को दोष नहीं दिया।
नाबालिग शिकायतकर्ता के पिता ने गुरुवार को कहा है कि वह निर्दोष साबित हो रहे हैं तो यह बेहतर है कि कोर्ट की बजाय अभी सच सामने आ जाए। बता दें कि कुछ दिन पहले ही नाबालिग ने अपने आरोप वापस ले लिए हैं। अब इस बयान के बाद जनवरी से चल रहे पहलवानों के विरोध प्रदर्शन ने एक नया मोड़ ले लिया है।
रिपोर्ट के अनुसार नाबालिग के पिता ने कहा है कि पहले की शिकायत जानबूझकर की गई थी और झूठी थी। नाबालिग के पिता ने पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में कहा, 'चूँकि अब बातचीत शुरू हो गई है, सरकार ने पिछले साल मेरी बेटी की हार (एशियाई अंडर-17 चैंपियनशिप ट्रायल में) की निष्पक्ष जाँच का वादा किया है, इसलिए यह मेरा भी कर्तव्य है कि मैं अपनी गलती सुधारूं।'
तो सवाल है कि क्या नाबालिग के पिता ने एशियाई अंडर-17 चैंपियनशिप ट्रायल के परिणाम के लिए ऐसा किया? नाबालिग पहलवान के पिता ने अब एक मैच की ओर इशारा किया है। उन्होंने कहा है कि उस मैच में हार को लेकर उनकी बेटी ग़ुस्से में थी और उसने यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी। एचटी ने रिपोर्ट दी है कि नाबालिग के पिता ने कहा कि एक मैच हारने का मतलब एक साल की पूरी मेहनत को खोना है। रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने आरोप लगाया कि यह मैच के रेफरी की गलती थी और चूंकि रेफरी को डब्ल्यूएफआई द्वारा नियुक्त किया गया था, इसलिए उनका गुस्सा बृजभूषण पर था।
कम से कम सात महिला पहलवानों ने बीजेपी सांसद और डब्ल्यूएफ़आई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। छह व्यस्क महिला पहलवानों की एक एफ़आईआर है और एक नाबालिग द्वारा दर्ज कराई गई एफ़आईआर।
व्यस्क महिला पहलवानों द्वारा दर्ज कराई गई एफ़आईआर के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट दी है कि यौन उत्पीड़न और दुराचार की कई घटनाओं में पेशेवर सहायता के बदले शारीरिक संबंध बनाने की मांग, छेड़छाड़, ग़लत तरीक़े से छूना और शारीरिक संपर्क शामिल हैं। आरोप लगाया गया है कि इस तरह के यौन उत्पीड़न टूर्नामेंट के दौरान, वार्म-अप और यहाँ तक कि नई दिल्ली में रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी डब्ल्यूएफआई के कार्यालय में भी किया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पेशेवर सहायता के बदले शारीरिक संबंध की मांग करने के कम से कम दो मामले; यौन उत्पीड़न की कम से कम 15 घटनाएँ हैं जिनमें ग़लत तरीक़े से छूना शामिल हैं, छेड़छाड़ जिसमें छाती पर हाथ रखना, नाभि को छूना शामिल है। इसके अलावा डराने-धमकाने के कई उदाहरण हैं जिनमें पीछा करना भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ 28 अप्रैल को दिल्ली में दर्ज की गईं दो एफ़आईआर में ये प्रमुख आरोप हैं। हालाँकि, बृजभूषण शरण सिंह ने बार-बार आरोपों से इनकार किया है।
इधर, छह महिला पहलवानों के मामले में सरकार से बातचीत चल रही है। दिल्ली में बुधवार को खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के आवास पर लंबी बैठक के बाद देश के कुछ शीर्ष पहलवानों ने कहा है कि वे 15 जून तक अपना विरोध प्रदर्शन बंद रखेंगे। केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने बुधवार को पहलवानों के साथ एक सकारात्मक बैठक की, जहां सरकार ने कहा कि मामले में चार्जशीट 15 जून तक दायर की जाएगी और भारतीय कुश्ती महासंघ का चुनाव 30 जून तक होगा।
इससे पहले पहलवानों ने शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इसके बाद जब कुछ पहलवान अपने काम पर लौट गए तो कई तरह के कयास लगाए गए। लेकिन पहलवानों ने यह कहते हुए उन कयासों को खारिज कर दिया कि 'सत्याग्रह के साथ साथ रेलवे में अपनी ज़िम्मेदारी को निभा रहे हैं। इंसाफ़ मिलने तक हमारी लड़ाई जारी है।'
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