उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र अखिलेश यादव और मायावती के बीच चुनावी गठबंधन की सुगबुगाहट अभी ख़त्म भी नहीं हुई थी कि सीबीआई ने अखिलेश यादव पर गाज़ गिरा दी। आज सीबीआई ने एलान किया कि बालू खनन घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी पूछताछ हो सकती है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, 2012 और 2013 में मुख्यमंत्री रहते हुए अखिलेश यादव के पास खनन विभाग का अतिरिक्त चार्ज था। सीबीआई के मुताबिक़, इस मामले में समाजवादी पार्टी से पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति से भी सीबीआई पूछताछ करेगी।
शनिवार को यह ख़बर आई कि उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, मायावती की बहुजन समाज पार्टी, अजित सिंह की राष्ट्रीय लोकदल और निषाद पार्टी के बीच में लोकसभा की सीटों का बँटवारा हो गया है। इस गठबंधन का औपचारिक एलान अभी होना बाक़ी है। शुक्रवार को दिल्ली में मायावती और अखिलेश यादव के बीच लंबी बातचीत हुई।
उत्तर प्रदेश में 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन को 73 सीटें मिली थीं। 2014 में समाजवादी पार्टी और मायावती ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी इन दोनों पार्टियों में कोई गठबंधन नहीं था। विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 325 सीटें मिली थीं। समाजवादी पार्टी और बीएसपी का बुरी तरह सफ़ाया हो गया था।
सपा-बसपा साथ आए तो हारी बीजेपी
विधानसभा चुनाव के फ़ौरन बाद गोरखपुर, फूलपूर और कैराना के लोकसभा उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने हाथ मिला लिया था और तीन सीटों पर बीजेपी को बुरी हार का सामना करना पड़ा था। इसमें सबसे चौंकाने वाला नतीजा गोरखपुर और फूलपुर का था। गोरखपुर की सीट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खाली की थी और फूलपुर उप मुख्यमंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य की सीट थी।
ज़ाहिर है कि इन तीनों सीटों पर बीएसपी और समाजवादी पार्टी के साथ आने से बीजेपी को जोर का झटका लगा और लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र बीजेपी के लिए बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया। 2014 में मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाने में उत्तर प्रदेश की 73 सीटों ने बड़ी भूमिका निभाई थी।
12 ठिकानों पर मारे छापे
शनिवार को उत्तर प्रदेश और दिल्ली में सीबीआई की टीम ने 12 ठिकानों पर छापे मारे। सीबीआई का यह छापा इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देश पर मारा गया है। दिलचस्प बात यह है जुलाई 2016 में पूर्व आईएएस अधिकारी चंद्रकला के ख़िलाफ़ अदालत ने जाँच के आदेश दिए थे। शनिवार को बी. चंद्रकला के ठिकानों पर भी छापे मारे गए।
राजनीतिक हलकों में ये चर्चा गर्म है कि क्या बालू खनन मामले में छापे और समाजवादी पार्टी और बीएसपी के बीच गठबंधन की ख़बर के बीच किसी तरह का कोई संबंध है? क्या यह भी महज़ इत्तेफ़ाक है कि जो मामला 2 साल से लंबित पड़ा था, उसमें उसी दिन छापे पड़े जिस दिन गठबंधन की सुगबुगाहट सुनाई पड़ी?
अपनी राय बतायें