केंद्र सरकार ने मणिपुर के हालात पर विचार करने के लिए सभी राजनीतिक दलों की 24 जून को बैठक बुलाई है। मणिपुर 3 मई से जातीय हिंसा से प्रभावित है। अभी तक 110 से अधिक जानें जा चुकी है। 250 से ज्यादा चर्च जलाए जा चुके हैं। हजारों घरों को फूंक दिया गया है। कुकी आदिवासी तमाम क्षेत्रों से पलायन कर गए हैं।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार शाम ट्विटर पोस्ट में कहा, "केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर की स्थिति पर चर्चा के लिए 24 जून को दोपहर 3 बजे नई दिल्ली में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है।" यह घोषणा असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा नई दिल्ली में शाह से मुलाकात के तुरंत बाद हुई।
सरमा, जो एनडीए के पूर्वोत्तर चैप्टर NEDA (नॉर्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस) के संयोजक भी हैं, ने 10 जून को इंफाल का दौरा किया था और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और कई राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की थी।
विपक्ष ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाया है और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को शांति की अपील करते हुए कहा कि मणिपुर हिंसा ने राज्य में "गहरा घाव" छोड़ा है।
हालांकि यह संयोग है कि 20 विपक्षी दल 23 जून शुक्रवार को भाजपा का मुकाबला करने की रणनीति पर काम करने के लिए पटना में बैठक कर रहे हैं।
एक अधिकारी ने कहा कि शाह ने मणिपुर के गतिरोध को खत्म करने के लिए सभी राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया है। यह सर्वदलीय बैठक संसद पुस्तकालय भवन में हो सकती है। अधिकारी ने कहा, गृह मंत्री विपक्षी नेताओं और सहयोगियों को मौजूदा स्थिति और उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दे सकते हैं और क्या कदम उठाए जाने चाहिए, पूछ सकते हैं।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सीआरपीएफ के डीजी सुजॉय लाल थाओसेन ने भी कुछ दिन पहले मणिपुर का दौरा किया था और सुरक्षाकर्मियों से मुलाकात की थी। उन्होंने स्थिति को नियंत्रण में लाने के उपायों पर भी चर्चा की थी।
पिछले महीने, शाह ने चार दिनों के लिए मणिपुर का दौरा किया और शांति बहाल करने के प्रयासों के तहत विभिन्न वर्गों के लोगों से मुलाकात की। उन्होंने राहत शिविरों में मैतेई और कुकी दोनों समुदायों के पीड़ितों से मुलाकात की और उन्हें पर्याप्त सुरक्षा का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान उनकी सुरक्षित घर वापसी सुनिश्चित करना है।
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