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लोकसभा चुनाव का तीसरा चरण आजः कौन कौन सी हैं हॉट सीटें, जिन पर है नजरें

तीसरे चरण में ज्यादातर हॉट सीटें भाजपा के खाते में हैं लेकिन विपक्ष के भी कुछ नेता ह़ॉट सीटों पर लड़ रहे हैं। केंद्रीय मंत्री अमित शाह प्रह्लाद जोशी और ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र के मंत्री हैं। इसलिए उनकी हार-जीत मोदी सरकार के लिए ज्यादा मायने रखेगी। इसी तरह एमपी के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, एनसीपी (शरद पवार गुट) की सुप्रिया सुले और समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव भी अहम उम्मीदवारों में हैं। 

मंगलवार 7 मई को 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की कुल 94 लोकसभा सीटों पर मतदान होगा। इन राज्यों में असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, गोवा, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। यूपी, बिहार और बंगाल तीन ऐसे राज्य हैं, जिनमें सभी सात चरणों में मतदान रखा गया है।.

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तीसरे चरण में प्रमुख हॉट सीटें इस तरह हैंः

गांधी नगर से अमित शाह

गुजरात में गांधीनगर लोकसभा सीट पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लिए जीत कोई मुश्किल नहीं है। भाजपा में नंबर 2 का मुकाम हासिल करने वाले अमित शाह को भाजपा का चाणक्य भी कहा जाता है। वे यहीं से अपना दूसरा कार्यकाल हासिल करना चाहते हैं। गांधी नगर से इससे पहले भारत रत्न लाल कृष्ण आडवाणी भी लड़ चुके हैं है। पार्टी 1989 से इस सीट पर लगातार जीत रही है। हालांकि इस बार यह सीट भी विवादों में आए बिना नहीं रही। कुछ प्रत्याशियों ने आरोप लगाया कि उनका अपहरण करने की कोशिश की गई। उन्हें चुनाव से हटने के लिए डराया, धमकाया गया। चुनाव मैदान से हट चुके जितेंद्र चौहान ने एक वायरल वीडियो में कहा था कि 'अखिल भारतीय परिवार पार्टी' के उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल करने के बाद "भाजपा से जुड़े लोग" उन्हें धमकी दे रहे हैं।'.

Lok Sabha Elections 2024 Third Phase: Which are hot seats in this round? - Satya Hindi
अमित शाह
इसी तरह जयेंद्र राठौड़ ने आरोप लगाया कि उन्होंने भाजपा नेताओं के "दबाव" पर अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली। भाजपा के लोगों ने उनसे कहा था कि वे उम्मीदवारों की संख्या कम रखना चाहते हैं। राठौड़ ने कहा- “अपने चाचा से बात करने के बाद, मैंने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली। किसी ने मुझे धमकी नहीं दी।'' प्रजातंत्र आधार पार्टी की सुमित्रा मौर्य, अभी भी मैदान में हैं। सुमित्रा ने एक वीडियो में दावा किया कि जब से उन्होंने अपना पर्चा भरा है, कुछ लोग उन्हें फोन कर रहे हैं और धमकी दे रहे हैं। पुलिस उनका पीछा कर रही है। बहरहाल, अमित शाह के खिलाफ कांग्रेस की सोनल पटेल डटी हुई हैं। उन्हें भी परेशान किया गया लेकिन वे हटी नहीं। गांधी नगर में विरोधी पक्ष के मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से गायब करने के भी आरोप हैं। लोगों ने फर्जी वोटिंग तक के आरोप 2019 में लगाए थे। 2019 में शाह ने सीजे चावड़ा को 5.55 लाख वोटों के अंतर से हराकर बड़ी जीत दर्ज की थी।

मैनपुरी से डिंपल यादव

मैनपुरी यादवलैंड की प्रमुख सीट है और शुरू से सपा का गढ़ रही है। सपा प्रत्याशी डिंपल यादव पूर्व सीएम और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी हैं। मैनपुरी से डिंपल के ससुर मुलायम सिंह यादव भी जीते हैं। 2023 में उनके निधन के बाद यह सीट खाली हो गई थी। डिंपल ने दिसंबर 2022 में मैनपुरी उपचुनाव में बीजेपी के रघुराज सिंह शाक्य को 2,88,461 वोटों के अंतर से हराया। इस बार डिंपल का मुकाबल भाजपा के जयवीर सिंह ठाकुर से है।

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डिंपल यादव अपने पति अखिलेश यादव के साथ
हालांकि डिंपल को जीतने में मुश्किल नहीं आएगी लेकिन इसके बावजूद वो पूरी मेहनत कर रही है। डिंपल सिर्फ चुनाव में ही नहीं, निजी जिंदगी में भी बहुत सादगी से रहती हैं। उनकी यह छवि मैनपुरी की महिलाओं को बहुत पसंद है और वे उनसे फौरन जुड़ जाती हैं। हाल ही में एक अंग्रेजी अखबार ने सर्वे किया था, जिसमें जनता की राय पूछी गई थी। वैश्य समाज के लोगों ने उस सर्वे में कहा था कि उन्हें पता है कि केंद्र में मोदी फिर आएंगे। लेकिन यहां हमारे मैनपुरी में डिंपल ही जीतेगी। नेताजी ने इस क्षेत्र के लिए जो कुछ भी किया है, हम लोग उसे भुला नहीं सकते। नेता जी की विरासत को बरकरार रखा जाएगा, भले ही अंतर लगभग 2 लाख तक कम हो जाए। 

भाजपा ने यूपी के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह को मैदान में उतारा है। उन्होंने 2022 में दो बार के सपा विधायक को हराकर मैनपुरी (शहर) विधानसभा सीट जीती थी। इससे वो भी उत्साहित किया है। भाजपा का दावा है कि सपा के पक्ष में 2022 की "सहानुभूति लहर" कम हो गई है और पार्टी इस चुनाव में बराबर की दावेदार है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने पिछले गुरुवार को बुलडोजर के साथ यहां रोड शो किया था। यह स्पष्ट रूप से समुदाय विशेष के लोगों को डराने और हिन्दू मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए किया गया था। लेकिन मैनपुरी को किसी बुलडोजर शो के सहारे नहीं जीता जा सकता।
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शिवराज सिंह चौहान

विदिशा से शिवराज सिंह चौहान

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्य के लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। वो मोदी-शाह की राजनीति के शिकार हुए। पिछले विधानसभा चुनाव को भाजपा ने चौहान के दम पर जीता है लेकिन जब सीएम बनाने की बारी आई तो मोदी-शाह ने मोहन यादव को सीएम बना दिया। शिवराज इस अपमान को पी गए। भाजपा ने अब उन्हें केंद्र की राजनीति में लाने के लिए विदिशा से खड़ा किया है। चौहान का मुकाबला कांग्रेस के प्रताप भानु शर्मा से है। हालांकि चौहान को यह सीट जीतने में किसी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ रहा है। इसके बावजूद चुनाव तो चुनाव है।

 
विदिशा एक तरह से भाजपा का गढ़ है। कभी यहां से अटल बिहारी वाजपेयी और सुषमा स्वराज जीत चुके हैं। शिवराज सिंह चौहान ने 1991 से लगातार पांच बार सीट जीती और फिर राज्य के सीएम बनने के लिए सांसदी से इस्तीफा दे दिया, जबकि प्रताप भानु शर्मा ने 1980 और 1984 में सीट जीती। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार रमाकांत भार्गव ने 5,03,084 वोटों के अंतर से सीट जीती थी। भाजपा ने 68.19 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया। भार्गव ने कांग्रेस उम्मीदवार शैलेन्द्र रमेशचंद्र पटेल को हराया, जिन्हें केवल 3,49,938 वोट (27.97 प्रतिशत) मिले थे। कुल मिलाकर चौहान की यहां से बड़ी जीत होना चाहिए।

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अधीर रंजन चौधरी

बहरामपुर से अधीर रंजन चौधरी

वरिष्ठ कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी 2009 से 2019 तक तीन बार बहरामपुर से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर जीत रहे हैं। 2019 में, उन्होंने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की अपूर्बा सरकार को 80,000 से अधिक वोटों से हराया था। इस बार उनका मुकाबला बीजेपी के निर्मल साहा और टीएमसी के पूर्व भारतीय क्रिकेटर यूसुफ पठान से है।

बहरामपुर लोकसभा क्षेत्र दक्षिण बंगाल में कृषि पर है। यहां आधुनिक सुविधाओं का अभाव है। क्षेत्र के किसान इस बात से नाराज हैं कि सरकार उन्हें जूट की उचित कीमत नहीं देती है। यही हाल गन्ना और सब्जियों का भी है। लेकिन लोग यह भी जानते हैं कि इसके लिए अधीर रंजन जिम्मेदार नहीं हैं। न तो केंद्र में अधीर की पार्टी है और न ही बंगाल में अधीर का शासन है। यहां के लोग उन्हें दादा कहते हैं, बंगाली में इसका अर्थ बड़े भाई से है। अधीर जहां भी प्रचार में गए हैं, उन्हें लोगों ने ठोस भरोसे के साथ वापस भेज दिया है।

क्रिकेटर यूसुफ पठान बहरामपुर से टीएमसी उम्मीदवार हैं। गुजरात के मूल निवासी यूसुफ पठान को बंगाली का एक अक्षर भी नहीं आता है। वो पहले दिन से ही इस इलाके के लोगों से नहीं जुड़ पाए। टीएमसी कार्यकर्ता इस बात से परेशान हैं कि 52% मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्र में, ममता बनर्जी ने इस क्षेत्र से बंगाली न बोलने वाला उम्मीदवार क्यों चुना। इस कमी के बावजूद, ममता बनर्जी ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से इस बार अधीर रंजन चौधरी को हराने का आग्रह किया है।

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सुप्रिया सुले

बारामती से सुप्रिया सुले

महाराष्ट्र में सभी की नजरें बारामती पर हैं। शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले का मुकाबला महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजीत पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार से है। बारामती एनसीपी का गढ़ शुरू से है। 1999 से शरद पवार की पार्टी ने इस सीट पर कब्जा कर रखा है। शरद पवार ने 1999 से 2009 तक इस सीट को लगातार जीता और उसके बाद से उनकी बेटी सुप्रिया सुले ने लोकसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है। बारामती सीट को न सिर्फ प्रतिष्ठा की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि यह ऐसी सीट भी है जो पवार खानदान की विरासत को तय करेगी। क्योंकि एक तरह से यहां पर चाचा-भतीजे अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।

यहां से सुले को जीतने में कोई परेशानी नहीं आना चाहिए। सिर्फ पिछले दो चुनावों की बात की जाए तो 2014 में, सुले ने 'मोदी मैजिक' का सामना करते हुए 70,000 से अधिक वोटों से सीट कायम रखी। 2019 में, उन्होंने 1.55 लाख से अधिक वोटों के अंतर से इस गढ़ पर कब्जा बनाए रखा। इस बार एनसीपी दो टुकड़े हो गई है। अजीत पवार की नजर ऐसे मतदाताओं पर है जो उनके वफादार होना चाहते हैं, क्योंकि वो राज्य के डिप्टी सीएम हैं। लेकिन शरद पवार के आगे सब नाकाम है। वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) ने भी सुले को समर्थन देने की घोषणा की है। वीबीए दलित आधारित संगठन है। कुल मिलाकर सुप्रिया सुले मजबूत स्थिति में हैं।

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बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 सात चरणों में हो रहे हैं. पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हुआ था, जबकि दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को हुआ था। तीसरे चरण का मतदान 7 मई (मंगलवार) को होगा। सभी सात चरणों के नतीजे 4 जून को घोषित किए जाएंगे। इस बार चुनाव में बहुत बड़ा उलट फेर हुआ है। भाजपा ने शुरुआत में 400 पार का नारा दिया था लेकिन अब भाजपा उसका जिक्र नहीं कर रही है। कांग्रेस जो तमाम परेशानियों से जूझ रही है, इस चुनाव में दिख रही है। कई राज्यों में उसे अच्छी सीटें मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

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क़मर वहीद नक़वी
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