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कुणाल कामरा के शो के बाद तोड़फोड़ की गई

कुणाल कामरा की कॉमेडी पर तांडव क्यों करने लगे शिवसैनिक!

स्टैंडअप कॉमिडियन कुणाल कामरा को इस बार राजनीतिक मजाक महंगा पड़ा। पॉलिटिकल प्रकृति का उनका यह मज़ाक महाराष्ट्र की वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य पर था। निशाने पर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे थे। इस पर शिंदे के कार्यकर्ता भड़क उठे और उन्होंने कार्यक्रम स्थल पर जबरदस्त तोड़फोड़ की, नारेबाजी की। आरोप है कि अराजकता फैलाने वालों ने ही जाकर पुलिस में कुणाल कामरा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। अराजकता फैलाने वालों के खिलाफ पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। महाराष्ट्र में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। अभी संभाजी, शिवाजी और औरंगज़ेब वाला मामला शांत भी नहीं हुआ था कि अब यह मामला सामने आ गया है।
मुंबई में कामारा के एक शो के दौरान उन्होंने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर एक व्यंग्यात्मक गीत गाया, जिसके बाद शिवसेना (शिंदे गुट) के कार्यकर्ताओं ने विरोध जताते हुए कार्यक्रम स्थल पर तोड़फोड़ की। दरअसल मामला शुरू होता है कुणाल कामरा के एक शो से। शो हो रहा था मुंबई के खार में होटल यूनिकॉन्टिनेंटल में मौजूद स्टूडियो हैबिटेट में।

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इस शो में कुणाल कामरा ने 1997 की फिल्म "दिल तो पागल है" के लोकप्रिय गीत "भोली सी सूरत" की धुन पर एक मज़ाकिया गीत पेश किया। इस मज़ाकिया गाने में ठाणे से आने वाले किसी ढाढ़ी वाले शख्स का जिक्र करते  हुए उन्होंने उस आदमी को गद्दार बताया। इसी बात पर शिंदे ग्रुप के शिवसैनिक भड़क गये।

कुणाल कामरा अपने इस कॉमेडी शो में महाराष्ट्र की राजनीति में इस वक़्त जो चल रहा है उस पर तंज कस रहे थे। उन्होंने कहा कि  "शिवसेना पहले बीजेपी से निकली, फिर शिवसेना शिवसेना से निकली। एनसीपी एनसीपी से निकली, उन्होंने एक वोटर को नौ बटन दे दिए... सब कन्फ्यूज हो गए।"

कुणाल कामरा के इस शो के बाद शिवसेना (शिंदे ग्रुप) के लोग भड़क गये। वे खार के हैबिटेट स्टूडियो पहुँच गये और वहाँ जाकर जमकर तोड़फोड़ मचाई। शिवसेना (शिंदे ग्रुप) के एक विधायक मुरजी पटेल ने कुणाल के खिलाफ़ एफ आई आर दर्ज करवा दी। इतना ही विधायक मुरजी पटेल ने कुणाल कामरा को धमकी भी दी है कि वे 48 घंटे के अंदर माफी मांगे। अगर कुणाल ऐसा नहीं करेंगे तो उनका मुंबई में चलना फिरना मुश्किल हो जाएगा।
उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि "अगर वह माफी नहीं मांगते हैं, तो शिव सैनिक उन्हें मुंबई में खुला घूमने नहीं देंगे।"वहीं शिवसेना शिंदे ग्रुप के सांसद नरेश महस्के ने कुणाल कामरा को "पैसे के लिए काम करने वाला कॉमेडियन  करार दिया है। सीधे तौर पर कामरा को यह भी धमकी दी है “तुम्हें देश छोड़कर भागना पड़ेगा।“

उन्होंने आगे कहा कि "कुनाल कामरा एक भाड़े के कॉमेडियन हैं। वह सिर्फ पैसे के लिए हमारे नेता परटिप्पणी कर रहे हैं। शिव सैनिक उन्हें उनकी जगह दिखा देंगे।"
शिव सेना से मिल रही इन धमकियों के बीच कुणाल कामरा ने अपने सोशल मीडिया पर अपनी एक तस्वीर शेयर की है जिसमें उन्होंने भारतीय संविधान को हाथमें ले रखा है। साथ ही लिखा है कि “आगे का रास्ता केवल यही है।“ 
इस घटना के बाद तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि "हर किसी को स्टैंड-अप कॉमेडी करने का अधिकार है। लेकिन आजादी का अर्थ अनियंत्रित व्यवहार नहीं होना चाहिए। कामरा को अपने व्यवहार के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए। नेताओं का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।"
वहीं शिवसेना उद्धव ग्रुप के नेता आदित्य ठाकरे ने शिंदे ग्रुप के शिवसैनिकों की हरकत को कायरता का दर्जा दिया है। आदित्य ठाकरे  ने कहा है कि "केवल एक असुरक्षित कायर ही एक गाने पर इस तरह की प्रतिक्रिया देगा।"
शिवसेना उद्धव ग्रुप के नेता संजय राउत ने खुलकर कुणाल कामरा का समर्थन किया है। उन्होंने उस वीडियो को भी शेयर किया है। वहीं  कुनाल कामरा का समर्थन करते हुए इसे "कुणाल का कमाल" बताया और वीडियो साझा किया। पार्टी की अन्य नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी कुणाल का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि किसी व्यंग्य पर हिंसा का कोई औचित्य नहीं है।
हालांकि इस घटना के बाद एक ताजा अपडेट यह है कि जिस जगह कामरा ने शो किया था, वह 'हैबिटेट स्टूडियो' अनिश्चितकाल के लिए बंद हो गया है। स्टूडियो के प्रबंधकों ने स्टूडियो के इंस्टाग्राम पेज पर लिखा है कि "हम कलाकारों के विचारों और उनकी रचनात्मकता के लिए जिम्मेदार नहीं हैं, लेकिन हर बार हम पर ही हमला किया जाता है, जैसे हम कलाकार के लिए एक प्रॉक्सी बन गए हैं। हम यह सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि हमें इस स्थिति से कैसे निपटना चाहिए।"
गौरतलब है कि  यह पहली बार नहीं है जब इस स्टूडियो को किसी विवाद में घसीटा गया है। इससे पहले यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया के शो "इंडियाज़ गॉट लैटेंट" को लेकर भी बवाल हुआ था।
कुणाल कामरा पर हुए इस हालिया विवाद ने अभिव्यक्ति की आज़ादी और राजनीतिक असहिष्णुता की बहस को फिर से आंच दे दी है। जिस तरह से व्यंग्य पर नेताओं का अहम घायल हो रहा है, उस पर चिंता होना स्वाभाविक है। यह सवाल उठाता है कि क्या लोकतंत्र में सरकार या नेताओं की आलोचना करना अपराध हो गया है?
शिवसेना की धमकियों और बढ़ते विरोध को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि कुणाल कामरा माफी मांगेंगे या नहीं। मज़ाक हंसने की चीज़ होती है। अगर चुभ जाए तो ठहर कर सोचने की भी। एक बात जो फिर से नज़र आई, यह कि भारत में कॉमेडी करना, व्यंग्य करना, खासकर राजनीति पर, अब मज़ाक नहीं रह गया है!

रिपोर्टः अणुशक्ति सिंह संपादनः यूसुफ किरमानी
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क़मर वहीद नक़वी
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