loader
नेपाल के पीएम केपी शर्मा औली

क्या नेपाल में भारत राजशाही का समर्थन कर रहा, पीएम केपी शर्मा का बड़ा आरोप

ऐसा लग रहा है कि एक और पड़ोसी देश इन दिनों भारत से खफा है। इन दिनों भारत के पड़ोसी देश काफी खफा नजर आ रहे हैं। इसमें सबसे ताज़ा मामला है नेपाल का। पड़ोसी देश नेपाल ने भारत पर एक गंभीर आरोप लगाया है । नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली का कहना है कि “भारत नेपाल में राजशाही को वापस लाने की कोशिश कर रहा है।“
के पी शर्मा ओली ने अचानक क्यों दिया यह बयान? क्या कहीं कोई खिचड़ी पक रही है? क्या सच में भारत चाहता है कि नेपाल में राजशाही वापस लौट आए? 
ताजा ख़बरें
भारत के पड़ोसी देश नेपाल में 2008 तक राजशाही थी। उसके बाद वहाँ राजशाही को खत्म कर गणतंत्र की स्थापना की गई। पिछले कुछ समय से नेपाल में देश के पूर्व शासक ज्ञानेंद्र शाह के समर्थन में प्रदर्शन किए जा रहे हैं। इस वजह से देश में राजनीतिक तनाव बढ़ गया है। इस दौरान नेपाल में गणतंत्र व्यवस्था को मजबूत करने की बहस भी तेज हो रही है।

इन सब चीजों के दरमियान प्रधानमंत्री ओली का रविवार को दिया गया बयान एक बड़े अचंभे के तौर पर देखा जा रहा है। ओली का कहना है कि, "हमें जानकारी मिली है कि भारत से कुछ लोग नेपाल में राजशाही को वापस लाने की साजिश में शामिल हैं। यह हमारे लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ है।"
ओली का ये भी कहना है कि कुछ भारतीय ताकतें हाल ही में शुरू हुए राजशाही समर्थक आंदोलनों को समर्थन दे रही हैं। हालांकि ओली ने अपने इन दावों के समर्थन में कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया है। इस वजह से उनके बयान पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

यहाँ आपको बता दें कि भारत और नेपाल के बीच पहले से ही संबंध कुछ ठीक नहीं हैं। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद और अन्य मुद्दे पहले से ही चर्चा में हैं। इन हालात में ओली का बयान आना चीजों को और गंभीर बना सकता है।
हालांकि भारत ने अभी तक ओली के आरोपों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। विश्लेषकों का यह मानना  जरूर है कि नेपाल के प्रधानमंत्री का यह बयान दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों को और तनावपूर्ण बना सकता है।

ओली के इस बयान के बाद नेपाल में तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही है। इस दावे का विरोध सबसे पहले तो नेपाल में ही शुरु हो गया है । नेपाल में विपक्षी दलों ने ओली के दावे पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है । उनका कहना है कि यह बयान सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश है। विपक्ष का आरोप है कि ओली इस मुद्दे को उठाकर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं।
दुनिया से और खबरें
दूसरी ओर, ओली ने अपने समर्थकों से अपील की है कि वे देश के गणतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए एकजुट रहें। उन्होंने भारत पर इशारे में हमला करते हुए कहा है कि, "हमें किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए। नेपाल का भविष्य हमारे हाथों में है।“

रिपोर्टः कृति सिंह भदौरिया, अणुशक्ति सिंह
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

दुनिया से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें