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केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को एक बार फिर कहा कि केंद्र सरकार किसानों के साथ कृषि क़ानूनों के हर क्लॉज पर बातचीत करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि हमने किसानों को लिखित में इसके लिए प्रस्ताव भेजा है और हम उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं जिससे आगे के दौर की बातचीत हो सके। उन्होंने एक बार फिर कहा कि ये क़ानून किसानों की भलाई के लिए हैं।
तोमर ने ट्वीट कर कहा कि देशभर से आये अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के पदाधिकारियों ने आज कृषि भवन में मुलाकात कर नए कृषि कानूनों के समर्थन में उन्हें ज्ञापन दिया है।
देशभर से आये अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के पदाधिकारियों ने आज कृषि भवन में मुलाकात कर नए कृषि कानूनों के समर्थन में ज्ञापन दिया।#FarmersWithModi pic.twitter.com/1BUvmulZLf
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) December 14, 2020
किसान नेताओं ने कहा है कि 15 दिसंबर के बाद मजदूरों और महिलाओं की भी किसान आंदोलन में भागीदारी होगी और इस तरह यह आंदोलन और बढ़ा होता जाएगा।
किसानों ने दिल्ली-जयपुर हाईवे पर भी डेरा डाला हुआ है। हरियाणा-राजस्थान की सीमा पर पड़ने वाले रेवाड़ी बॉर्डर पर हरियाणा की पुलिस ने वही काम किया है जो पंजाब-हरियाणा की सीमा पर किया था। मतलब कि बड़े-बड़े पत्थर रखे हैं, बैरिकेडिंग लगाई हुई हैं, जिससे कि किसान हरियाणा होते हुए दिल्ली न पहुंच सकें।
संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले हो रहे इस आंदोलन को और मजबूत करने का एलान किसान नेता कर चुके हैं। इसी के तहत रविवार को राजस्थान के शाहजहांपुर से किसानों ने दिल्ली कूच किया था।
किसानों के आंदोलन से होश खोने की कगार पर बैठी मोदी सरकार और बीजेपी ने किसान चौपालों का कार्यक्रम शुरू किर दिया है। बीजेपी के आला नेता और मोदी सरकार के मंत्री देश के 700 जिलों में किसान चौपाल करेंगे और 100 प्रेस कॉन्फ्रेन्स भी की जाएंगी।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बीजेपी की किसान चौपालों की शुरुआत रविवार को पटना जिले के टेकबीघा गांव से की। यहां पर फिर उन्होंने टुकड़े-टुकड़े गैंग का जिक्र किया और सख़्त कार्रवाई की चेतावनी दी। प्रसाद ने इससे पहले भी कहा था कि किसानों और सरकार के बीच बातचीत फ़ेल होने के पीछे टुकड़े-टुकड़े गैंग जिम्मेदार है। इसके अलावा कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आंदोलन में वामपंथी शामिल हैं।
बीजेपी और मोदी सरकार जानते हैं कि किसान क़ानूनों को वापस लेने का मतलब है कि उनके समर्थकों सहित दुनिया भर में ये संदेश जाना कि नरेंद्र मोदी को पहली बार झुकना पड़ा। ऐसा मोदी सरकार और बीजेपी संगठन को क़तई बर्दाश्त नहीं होगा क्योंकि पीएम मोदी के झुकते ही बीजेपी का क़िला ढहने की आशंका है।
केंद्र सरकार को अपनी ताक़त और एकजुटता का अहसास करा चुके किसानों ने आंदोलन को और तेज़ करने का एलान किया है।
शनिवार शाम को हुई सिंघु बॉर्डर पर हुई प्रेस कॉन्फ्रेन्स में किसान नेता कमलप्रीत पन्नू ने कहा था कि किसान संगठन चाहते हैं कि इन क़ानूनों को तुरंत वापस लिया जाए और उन्हें किसी भी तरह का संशोधन स्वीकार नहीं है। उन्होंने कहा था कि हम सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं।
सुनिए, किसान आंदोलन पर चर्चा-
कई दौर की बातचीत के फ़ेल होने के बाद अब किसान लंबी और जोरदार लड़ाई के लिए मैदान में डट चुके हैं। सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर हरियाणा-पंजाब और कई राज्यों से किसानों का आना जारी है। ऐसे में जब किसान आंदोलन तेज़ होता जा रहा है तो सरकार के भी हाथ-पांव फूल चुके हैं।
किसानों ने 8 दिसंबर के भारत बंद में अपनी ताक़त दिखाई थी। इसे विपक्षी दलों का भी समर्थन मिला था। इसके बाद 12 दिसंबर को किसानों ने अंबाला में शंभु टोल प्लाजा, करनाल में बस्तारा टोल प्लाजा और यूपी-ग़ाज़ियाबाद बॉर्डर पर छिजारसी टोल को फ्री कर दिया था। किसानों के आंदोलन को देखते हुए हरियाणा के पलवल, फरीदाबाद और दिल्ली-जयपुर हाईवे पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
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