भारत में पुलिस राज की तरफ तमाम अदालतें लगातार इशारा कर रही हैं। किसी भी राज्य की पुलिस दूसरे राज्य में घुसकर किसी को उठा लाती है, कभी कानून हाथ में भी ले लेती है। गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी के केस में अदालत ने तीखी टिप्पणी करते हुए इस तरफ ध्यान खींचा है। लेकिन इस दौरान हुई अन्य घटनाएं भी इससे अलग नहीं थीं।
क्या वाकई 'पुलिस राज' कायम हो गया है, कानून कहां है?
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- 29 Mar, 2025
तमाम ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जब एक राज्य की पुलिस दूसरे राज्य में दखल देती है और आरोपी को उठा लाती है। गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी की जमानत मंजूर करते हुए अदालत ने पुलिस राज की तरफ संकेत किया है। क्या वाकई भारत एक पुलिस राज में बदल रहा है।

26 अप्रैल को दिल्ली के इंपीरियल होटल में आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविन्द केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस थी। उसकी कवरेज के लिए गए पत्रकार नरेश वत्स को पीटा गया। हो सकता है कि पत्रकार को लेकर केजरीवाल या भगवंत मान का कोई पूर्वाग्रह रहा हो लेकिन पंजाब पुलिस ने किसके इशारे पर पत्रकार को पीटने और कानून हाथ में लेने की पहल की। पत्रकार निहत्था था। पुलिस वालों के पास हथियार भी थे। अगर पत्रकार ने अंदर जाने की जिद भी की थी तो क्या इसके लिए निहत्थे पत्रकार को पीटा जाएगा। इस मामले में हालांकि दिल्ली पुलिस ने घटना के कई दिन बाद एफआईआर कर ली है लेकिन अब यह मामला दिल्ली पुलिस बनाम पंजाब पुलिस हो गया है। दिल्ली पुलिस भी अपने तमाम ऑपरेशन के सिलसिले में पंजाब जाती है, जाहिर है पंजाब पुलिस भी ऐसी कार्रवाई करेगी।