रविवार को जम्मू एयर बेस पर हुए ड्रोन हमले को लेकर भारत सरकार बेहद गंभीर है। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी के साथ इस मसले पर बैठक की। इस दौरान भारत की ड्रोन पॉलिसी को लेकर चर्चा हुई है।
बता दें कि रविवार को जम्मू एयर बेस पर दो धमाके हुए हैं और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इन्हें 'आतंकवादी हमला' क़रार दिया है। इसके बाद भी जम्मू में कई ड्रोन दिखाई दिए हैं और इसे लेकर आर्मी के सभी स्टेशनों को अलर्ट पर रखा गया है।
इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि खुले आकाश में ड्रोन के इस्तेमाल के लिए सरकार पहले से ही योजना बना रही है और मंगलवार को हुई इस अहम बैठक का मक़सद इस बारे में और ज़्यादा चर्चा करना था। जम्मू एयर बेस पर जिस तरह का ड्रोन हमला हुआ है, उसे देखते हुए सुरक्षा के कई पहलुओं पर काम करने की ज़रूरत महसूस की जा रही है।
कहा जा रहा है कि कुछ संवेदनशील जगहों पर ड्रोन को उड़ाने पर पाबंदियां लगाई जा सकती हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी मानवरहित विमान प्रणाली नियम, 2021 के तहत जारी निर्देशों के अनुसार, ऐसे ड्रोन जिनका वजह 250 ग्राम से कम हो उनके लिए लाइसेंस या परमिट की ज़रूरत नहीं है।
लगातार दिख रहे ड्रोन
रविवार को जम्मू एयर बेस पर हुए दो धमाकों के अलावा उसी दिन रात को कालूचक मिलिट्री कैंप पर दो ड्रोन दिखाई दिए। इनमें से एक रात के 11.30 बजे जबकि दूसरा 1.30 बजे दिखाई दिया। मौक़े पर तैनात जवानों ने इन ड्रोन को गिराने के लिए फ़ायरिंग की। इसके अलावा मंगलवार को एक बार फिर जम्मू के तीन इलाक़ों में ड्रोन देखे गए।
UN में उठाया मामला
भारत ने जम्मू एयर बेस पर हुए ड्रोन हमले के मामले को संयुक्त राष्ट्र के सामने रखा है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को बताया है कि ऐसा मुमकिन है कि हथियारबंद ड्रोन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए किया जा रहा है और इस ओर संजीदा होकर ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय में विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) वीएसके कौमुदी ने मंगलवार को कहा कि आतंकी प्रोपेगेंडा, कट्टरवाद को बढ़ावा देने और कैडर्स की भर्ती के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया का, आतंकवाद के लिए धन इकट्ठा करने के मक़सद से नये जमाने के पेमेंट तरीक़ों का ग़लत इस्तेमाल करना जैसी बातें बेहद गंभीर ख़तरा बनकर सामने आई हैं।
ड्रोन को लेकर उन्होंने कहा कि यह बेहद सस्ता है और आसानी से मिल जाता है और आतंकी गुट अपने ख़तरनाक इरादों को अंजाम देने, ख़ुफ़िया सूचनाएं इकट्ठा करने, हथियारों को एक से दूसरी जगह पहुंचाने में इसका इस्तेमाल करते हैं।
कौमुदी ने संयुक्त राष्ट्र की महासभा को बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, डीप फेक, ब्लॉक चेन, डार्क वेब जैसी नये जमाने की तकनीकों को लेकर यह जोखिम बना हुआ है कि आंतकी इनका ग़लत इस्तेमाल कर सकते हैं।
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