लोकसभा चुनाव में आचार संहिता भंग करने के मामले में प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह को क्लीनचिट पर आपत्ति जताने वाले चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के परिवार की मुश्किलें फिर बढ़ती दिख रही हैं। आयकर अधिकारियों ने अब हरियाणा सरकार से एक मामले की जाँच करने को कहा है। यह जाँच गुरुग्राम में एक अपार्टमेंट अशोक लवासा की पत्नी नोवेल लवासा द्वारा अपनी बहन शकुंतला लवासा को ट्रांसफ़र किए जाने के संदर्भ में है। इसमें आरोप लगाया है कि इस ट्रांसफ़र में स्टांप ड्यूटी नहीं दी गई है। आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए भरे गए आयकर रिटर्न और गुरुग्राम की संपत्ति के कागजातों में 'गड़बड़ियाँ' बताई हैं। लवासा के परिवार ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।
बता दें कि पिछले दिनों ही एक रिपोर्ट आई थी कि सरकार ने 11 सरकारी कंपनियों को निर्देश दिया था कि वे 2009 से 2013 के बीच अशोक लवासा के उन संबंधित कंपनियों में कार्यकाल में उनकी 'गड़बड़ियों' को ढूँढें। इससे पहले अशोक लवासा की पत्नी, उनकी बहन और बेटे को नोटिस भेजा गया था। अशोक लवासा की पत्नी नोवेल लवासा कर चोरी के आरोपों में आयकर विभाग के रडार पर हैं और उन्हें विभाग की ओर से 10 कंपनियों में निदेशक होने के संबंध में दिये आयकर रिटर्न को लेकर नोटिस जारी किया गया है। बाद में पता चला कि लवासा की बहन शकुंतला लवासा को विभाग की ओर से नोटिस जारी किया गया था।
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, आयकर विभाग द्वारा नोवेल लवासा से जुड़े मामले में जाँच की बात की हरियाणा के राजस्व और आपदा प्रबंधन के वित्तीय आयुक्त धनपत सिंह ने भी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि 27 नवंबर को आयकर विभाग का पत्र प्राप्त हुआ था। उनके अनुसार, 'गुरुग्राम के उपायुक्त के साथ 9 दिसंबर को इस जानकारी को साझा किया गया था। हमें अभी तक उनका जवाब नहीं मिला है। हमने उन्हें आईटी विभाग और मेरे कार्यालय से अवगत कराने को कहा है।'
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, अशोक लवासा और उनके परिवार ने स्टांप ड्यूटी का भुगतान नहीं करने के आरोपों को खारिज कर दिया। ई-मेल से भेजे अपने जवाब में शकुंतला लवासा ने कहा कि उन्होंने ‘10,42,220 रुपये के स्टांप ड्यूटी का भुगतान किया है।’ अशोक लवासा ने कहा, ‘स्टांप ड्यूटी की कोई चोरी नहीं है। उत्तरदायी व्यक्ति द्वारा लागू दरों के अनुसार भुगतान किया गया है। यह विभाग के ऊपर है कि तथ्यों का पता लगाए और (जानकारी) सेलेक्टिव लीक करने से बचे।’
शकुंतला लवासा ने आगे कहा कि आयकर विभाग और आयकर दाताओं के बीच कोई भी जानकारी क़ानून के अनुसार गोपनीय है और उस जानकारी का कोई भी सेलेक्टिव लीक ‘करदाता की गोपनीयता’ का उल्लंघन है। उन्होंने कहा, ‘यह जानकारी लीक करना मेरी प्रतिष्ठा को ख़राब करने का एक प्रयास है।’
'स्टांप ड्यूटी क्या आयकर विभाग के दायरे में?'
नोवेल लवासा ने भी कहा कि संपत्ति हस्तांतरण पर स्टांप शुल्क का भुगतान किया गया है। उन्होंने यह भी कहा, ‘मैं यह बताना चाहूँगी कि सभी हस्तांतरण सक्षम प्राधिकारी की अनुमति से किए गए हैं और स्टांप शुल्क का भुगतान किया गया है। हालाँकि मैं अपनी सीमित समझ में मानती हूँ कि स्टांप ड्यूटी आयकर विभाग का अधिकार क्षेत्र नहीं है, आगे इस बात को पुष्ट करते हैं कि वे मुझे और मेरे परिवार की प्रतिष्ठा को अपमानित और बदनाम करने के लिए ऐसी पूछताछ कर रहे हैं।’
आईटी विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, नोवेल लवासा के रिटर्न से पता चलता है कि उन्होंने गुरुग्राम में चार मंजिला इमारत की पहली मंजिल को 1.73 करोड़ रुपये में शकुंतला लवासा को बेच दिया था। यह ‘बिक्री’ वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए शकुंतला लवासा द्वारा दायर रिटर्न से पुष्टि की गई है जिसमें उन्होंने उस संपत्ति को ‘स्व-कब्जे वाले’ के रूप में दिखाया है।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के अनुसार, आईटी विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि नोवेल लवासा द्वारा आईटीआर में इस लेन-देन पर होने वाले पूंजीगत लाभ पर आयकर में कटौती का दावा किया गया है और कर का भुगतान नहीं किया गया है।
विभाग के अनुसार, अपार्टमेंट के ट्रांसफ़र के कागजात बताते हैं कि नोवेल लवासा ने 27-12-2018 को अपने पति को संपत्ति उपहार में दी थी और अशोक लवासा ने 21-01-2019 को अपनी बहन शकुंतला लवासा को उसी संपत्ति को उपहार में दिया था।
पति-पत्नी के बीच और ख़ून के संबंधियों (माता-पिता, बच्चों, नाती-पोतों और भाई-बहनों) के बीच अचल संपत्ति के उपहार पर हरियाणा सरकार के 16 जून, 2014 के एक आदेश के अनुसार स्टांप शुल्क नहीं लगता है। पंजीकरण में कहा गया है कि संपत्ति का स्थानान्तरण ‘स्वभाविक प्रेम और स्नेह’ के आधार पर की गई और इसलिए स्टांप शुल्क से छूट दी गई है। हरियाणा के शहरी क्षेत्रों में कोई भी संपत्ति बिक्री लेनदेन पर 5% स्टांप शुल्क लगता है।
इसी को लेकर आयकर विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि शुरुआती जाँच में स्टांप ड्यूटी में हेरफेर का मामला लगता है क्योंकि अचल संपत्ति को ‘गिफ़्ट’ के रूप में दिया गया है।
अशोक लवासा पर क्या हुआ था विवाद?
चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के बाद दूसरे सबसे वरिष्ठ अधिकारी लवासा ने लोकसभा चुनाव के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को चिट्ठी लिख कर इस बात पर असंतोष जताया था कि आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों पर विचार करने वाली बैठकों में उनकी असहमतियों को दर्ज नहीं किया जाता है। अशोक लवासा ने कहा था कि ‘अल्पसंख्यक विचार’ या ‘असहमति’ को दर्ज नहीं किए जाने की वजह से वह इन बैठकों से ख़ुद को दूर रखने पर मजबूर हैं। चिट्ठी आने के बाद काफ़ी विवाद हुआ था। चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को लगातार ‘क्लीन चिट’ मिलने के बाद विपक्षी दल भी हमलावर रहे थे। आयोग के इन फ़ैसलों की काफ़ी आलोचना हुई थी। यह बात भी चर्चा में रही थी कि मोदी और शाह को ‘क्लीन चिट’ चुनाव आयुक्तों की आम सहमति से नहीं दी गई थी और एक चुनाव आयुक्त की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए ऐसा किया गया था।
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के ख़िलाफ़ दो शिकायतें दर्ज कराई गई थीं। एक में कहा गया था कि मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि जो समुदाय पूरे देश में अल्पसंख्यक है लेकिन वायनाड में बहुसंख्यक है, राहुल गाँधी उस क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरी शिकायत में कहा गया था कि मोदी ने पहली बार वोट डालने वालों से कहा था कि उनका वोट बालाकोट में हमला करने वालों और पुलवामा में शहीद होने वालों के लिए समर्पित होगा या नहीं। लेकिन इन दोनों ही मामलों में मोदी को क्लीन चिट दी गई थी।
लवासा ने सवाल उठाया था कि आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में उनकी असहमति को क्यों नहीं शामिल किया गया।
तब मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, लवासा चाहते थे कि मोदी को चिट्ठी लिख कर उनका जवाब माँगा जाए और उसके बाद ही कोई फ़ैसला लिया जाए। लेकिन रिपोर्टों के अनुसार उनकी सलाह को दरकिनार कर सीधे फ़ैसला ले लिया गया और मोदी को निर्दोष क़रार दिया गया।
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