जालौर में 9 साल की उम्र के बच्चे इंद्र कुमार मेघवाल की पिटाई के बाद हुई मौत के बाद जातिगत भेदभाव और जाति के आधार पर होने वाले उत्पीड़न का सवाल फिर से आ खड़ा हुआ है। स्कूलों में होने वाला इस तरह का भयावह उत्पीड़न निश्चित रूप से दलित समाज के बच्चों के मन में डर पैदा करता है और उन्हें अपने बेहतर भविष्य के लिए आगे बढ़ने से भी रोकता है।
स्कूलों से लेकर नौकरियों तक में एससी-एसटी वर्ग के साथ भेदभाव
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- 17 Aug, 2022
सरकार को इस बात का संज्ञान लेना चाहिए कि आखिर आजादी के इतने साल बाद भी एससी-एसटी समुदाय के साथ नौकरियों या अन्य जगहों पर भेदभाव क्यों हो रहा है?

यह भेदभाव स्कूलों से निकलकर आगे शिक्षण संस्थानों और नौकरियों वाली जगहों पर भी है और यह बात खुद संसद की एक समिति ने बताई है।
एससी-एसटी के कल्याण से संबंधित एक संसदीय समिति ने हाल ही में कहा था कि एम्स में एड-हॉक यानी तदर्थ आधार पर कई वर्षों तक काम करने वाले एससी-एसटी के जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स को नियमित करने के वक्त रिक्त पदों के लिए नहीं चुना गया। समिति ने इस बात पर चिंता जताई थी कि एम्स जैसे संस्थान में वंचित तबक़े के डॉक्टर्स के साथ ऐसा बर्ताव होता है।