ऐसे समय जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका यात्रा पर हैं, वॉशिंगटन ने साफ कर दिया है कि भारत को ऑकस यानी ऑस्ट्रेलिया-यूके-अमेरिका सैन्य संगठन में शामिल नहीं किया जाएगा।
मोदी थोड़ी देर बाद ही अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस व ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन से मुलाक़ात करेंगे। वे जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा से भी मिलेंगे।
अमेरिका के राष्ट्रपति भवन ह्वाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने पत्रकारों से बात करते हुए गुरुवार को स्पष्ट किया कि भारत और जापान को इस संधि में शामिल करने की कोई योजना नहीं है।
क्या है ऑकस?
बता दें कि ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका व ब्रिटेन ने एक संधि की है, जिसके तहत ऑस्ट्रेलिया अमेरिकी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियाँ बनाएगा।
इसके अलावा उसे आर्टिफ़िशियल इटेलीजेंस से चलने वाले हथियार बनाने की तकनीक भी मिलेगी।
साकी ने पत्रकारों से कहा,
“
राष्ट्रपति जो बाइडन ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को संकेत दिया है कि हिन्द- प्रशांत की सुरक्षा के लिए बने इस संगठन में किसी और को शामिल नहीं किया जाएगा।
जेन साकी, प्रेस सचिव, ह्वाइट हाउस
जॉकस?
जब उनसे पूछा गया कि क्या जापान या भारत के लिए कोई सैन्य संधि नहीं होगी, इस पर साकी ने मजाक करते हुए पूछा, "ऑकस, फिर यह क्या हो जाएगा, जॉकस या जायऑकस।"
यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि ऑकस के गठन के बाद ऑस्ट्रेलिया ने पनडुब्बियाँ बनाने के लिए फ्रांस को पहले से दिया हुआ ऑर्डर रद्द कर दिया।
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क्वैड
भारत और ऑस्ट्रेलिया का मुद्दा इसलिए उठ रहा है कि क्वैड में ये देश भी हैं। क्वैड यानी क्वाडिलैटरल स्ट्रैटेजिक डायलॉग्स में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया के अलावा जापान और भारत भी हैं।
इस संगठन को राजनीतिक व क्षेत्रीय संगठन कहा जा रहा है, हालांकि पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह चीन को दक्षिण चीन सागर में रोकने के लिए बनाया गया संगठन है ताकि बीजिंग हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में अपना विस्तार न कर सके।
मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान ही क्वैड की बैठक होगी, जिसमें चारों देशों के राष्ट्र प्रमुख भाग लेंगे। इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा शिरकत करेंगे।
फिर सवाल यह है कि जापान और भारत को क्यों ऑकस से बाहर रखा गया है?
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