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चंपाई सोरेन
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2022 के चुनावी साल से ठीक पहले बीजेपी और केंद्र सरकार के लिए बेहद ख़राब ख़बर है। इंडिया टुडे के ‘मूड ऑफ़ द नेशन’ सर्वे से पता चला है कि पिछले साल के मुक़ाबले इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में खासी गिरावट आई है। अगस्त, 2020 में उन्हें देश में जहां 66 फ़ीसदी लोग प्रधानमंत्री पद की पहली पसंद मानते थे, वहीं अब यह आंकड़ा घटकर 24 फ़ीसदी रह गया है।
इसके पीछे कोरोना की दूसरी लहर में केंद्र सरकार के कामकाज और इसके बाद बने आर्थिक हालात को जिम्मेदार बताया गया है।
ये भी हैरानी की बात है कि एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता गिर रही है, वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता राष्ट्रीय स्तर पर इतनी बढ़ी है कि वे देश में प्रधानमंत्री पद के लिए दूसरे लोकप्रिय उम्मीदवार बन गए हैं।
योगी को 11 फ़ीसदी लोगों ने पसंद किया है। तीसरे नंबर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी हैं, जिन्हें 10 फ़ीसदी लोग भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं। जबकि 8-8 फ़ीसदी के आंकड़े के साथ चौथे और पांचवे नंबर पर क्रमश: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बहुत पीछे रह गए हैं और उन्हें 7 फ़ीसदी लोग ही अगले प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं।
हालांकि अगर राज्यों में मुख्यमंत्रियों की लोकप्रियता की बात करें तो योगी आदित्यनाथ सातवें नंबर पर हैं। इस सूची में 42 फ़ीसदी लोगों की पसंद के साथ पहले नंबर पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन हैं जबकि 38 फ़ीसदी के साथ दूसरे नंबर पर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, 35 फ़ीसदी के साथ तीसरे नंबर पर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, 31 फ़ीसदी के साथ चौथे नंबर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, 30 फ़ीसदी के साथ पांचवे नंबर पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, 29 फ़ीसदी के साथ छठे नंबर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा और 29 फ़ीसदी के साथ ही योगी आदित्यनाथ सातवें नंबर पर हैं।
हिमंता बिस्व सरमा और योगी आदित्यनाथ, बीजेपी के दो ही ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें टॉप 10 की सूची में जगह मिली है।
‘मूड ऑफ़ द नेशन’ के सर्वे से पता चलता है कि भारत में अभी महंगाई और बेरोज़गारी दो बड़े मुद्दे हैं। जनवरी, 2021 में 17 फ़ीसदी लोग सोचते थे कि आर्थिक हालात ख़राब होंगे लेकिन अगस्त में ऐसा सोचने वालों का आंकड़ा बढ़कर 32 फ़ीसदी हो गया है। इसका मतलब साफ है कि आर्थिक मोर्चे पर भी सरकार के ख़िलाफ़ नाराज़गी है। हाल ही में आए सीएमआईए के सर्वे से पता चला था कि जुलाई महीने में देश में 32 लाख लोग बेरोज़गार हो गए हैं।
निश्चित तौर पर यह साफ है कि 2022 के अहम चुनावी साल से पहले यह सर्वे बीजेपी, संघ परिवार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चिंता बढ़ाने वाला है। लेकिन वे 2022 के चुनावी राज्यों को जीतने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते। हालिया कैबिनेट विस्तार में कई मंत्रियों की छुट्टी होना, मंत्री बनाते वक़्त जातीय समीकरणों का खास ध्यान रखना, इससे पता चलता है कि पार्टी फूंक-फूंककर क़दम रख रही है क्योंकि 2024 के चुनाव नतीजे तय करने में 2022 की बड़ी भूमिका है।
2022 की शुरुआत में उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड में चुनाव होने हैं जबकि साल के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी चुनाव होने हैं।
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