विवाद की जड़ कहाँ है?
इसके पश्चिम में श्योक नदी और दार्बुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी है तो पश्चिम में शिनजियांग तिब्बत सड़क। अक्साइ चिन शिनजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र में स्थित है।चीन ने पूरी गलवान घाटी पर पहली बार दावा किया और उसने उस इलाक़े तक कब्जा कर लिया है, जहाँ श्योक नदी पर भारत ने पुल बनाया है। विवाद इस जगह को लेकर है।
चीनी दावा खारिज
इस बार उसके सैनिक गश्त लगा कर इस इलाक़े से लौट नहीं गए, जमे रहे। भारत ने पूरी गलवान घाटी पर चीन के नियंत्रण के दावे के 'बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया हुआ' कहा और उसे 'अस्वीकार्य' बता कर खारिज कर दिया।विशेषज्ञ की राय
'द हिन्दू' अख़बार के अनुसार, मैसाच्युसेट्स इंस्टीच्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में प्रोफेसर टेलर फ्रैवल का कहना है, 'मैंने जो चीनी नक्शे देखे हैं, उनमें पूरी गलवान नदी को चीनी दावेदारी वाले हिस्से में दिखाया गया है।' वे इसके आगे कहते हैं,“
'लेकिन इन नक्शों में जो एक बदलाव है, वह यह है कि पश्चिमी छोर, जहाँ गलवान नदी श्योक में गिरती है, उसे चीनी सीमा से बाहर दिखाया गया है, यब बस कुछ किलोमीटर का मामला है।'
टेलर फ्रैवल, प्रोफेसर, मैसाच्युसेट्स इंस्टीच्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी
पुराने चीनी नक्शे
ऑब्जर्वर रिसर्च फ़ाउंडेशन के मनोज जोशी ने 'द हिन्दू' से कहा कि चीनी प्रधानमंत्री चाउ एनलाई ने 1956 में जो नक्शा जारी किया था, उसमें पूरी गलवान घाटी को भारत के हिस्से के रूप में माना गया था। लेकिन 1960 में चीन ने जो नक्शा जारी किया, उसमें उसने गलवान घाटी पर अपना दावा ठोंका। इसके बाद 1962 के चीनी नक्शे में भी गलवान घाटी को चीन का हिस्सा दिखाया गया था। पर उसके बाद के नक्शे में गलवान नदी के पश्चिमी छोर को चीन की सीमा में नहीं दिखाया गया।एलएसी की हक़ीकत
इसे हम ऐसे समझ सकते हैं कि भारत का दावा पूरे 38 हज़ार किलोमीटर के इलाक़े पर है, जिसमें अक्साइ चिन तक शामिल है। पर वास्तविक नियंत्रण रेखा की स्थिति उससे अलग है।इस बार चीन ने पूरी गलवान घाटी पर दावा किया है, जिसमें गलवान-श्योक संगम का पश्चिमी इलाक़ा तक है। इस तरह चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा को बदल कर रख दिया है।
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