चीन से ख़राब गुणवत्ता वाली कोरोना टेस्ट किट की शिकायत मिलने पर केंद्र सरकार ने ऑर्डर को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने कहा है कि इन किट को मुहैया कराने वाली कंपनियों को एक रुपया भी नहीं दिया जाएगा। सरकार ने यह भी कहा कि उन कंपनियों को भुगतान अभी नहीं किया गया है।
हाल के दिनों में कई राज्यों की सरकारें टेस्ट किट के सही से काम नहीं करने की शिकायतें करती रही हैं। पिछले हफ़्ते राजस्थान सरकार ने इसकी रिपोर्ट की थी और कहा था कि टेस्ट किट माणक के अनुसार नहीं है। राजस्थान और पश्चिम बंगाल ने नयी टेस्ट किट के बारे में शिकायत की थी कि ये किट 5.4 फ़ीसदी ही सही परिणाम बता रही हैं। विपक्षी दलों द्वारा शासित इन राज्यों ने केंद्र सरकार की ख़रीद पर सवाल उठाए थे। ऐसे ही आरोप यूरोप और अमेरिका के देश भी लगाते रहे हैं कि चीन से मिलने वाली टेस्ट किट और दूसरे उपकरणों की गुणवत्ता सही नहीं है।
राज्य सरकारों की शिकायतों के बीच आज केंद्र सरकार ने भी कहा कि इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर ने भी इन शिकायतों को सही पाया है। सरकार ने कहा कि ग्वांगझू वोन्डफो बायोटेक और झूआई लिवज़ोन डायग्नॉस्टिक्स द्वारा सप्लाई की गई टेस्ट किट की गुणवत्ता उस स्तर की नहीं है जैसी होनी चाहिए।
आज ही आईसीएमआर ने सभी हॉस्पिटलों से कहा है कि वे चीन की इन दो कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराई गई टेस्ट किट का इस्तेमाल करना बंद कर दें।
आईसीएमआर ने कहा है कि कुछ राज्यों ने रैपिड एंटी-बॉडी टेस्ट किट ख़रीदी थी और उनकी माँग पर आईसीएमआर ने भी यह मुहैया कराई थी। लेकिन इसके साथ ही यह भी साफ़ निर्देश दिए गए थे कि इनका सिर्फ़ निगरानी रखने के उद्देश्य से ही इस्तेमाल किया जाए। इसने कहा है, 'कुछ राज्यों ने टेस्टिंग के दौरान किट की टेस्टिंग क्षमता को लेकर शिकायतें कीं। इसके बाद आईसीएमआर ने फ़ील्ड में इसकी पड़ताल की। कंपनियों द्वारा निगरानी के लिए ही अच्छे परिणाम के किए गए दावे के बावजूद परिणाम अलग-अलग आए। इसी कारण टेस्टिंग को रोकने के लिए कह दिया गया है।'
सरकार की ओर से आधिकारिक बयान में कहा गया है कि तय प्रक्रिया का पालन किया गया है यानी इन किट की खरीद में 100 फ़ीसदी एडवांस में नहीं दिया गया है और इस कारण सरकार को एक रुपया का भी नुक़सान नहीं होगा।
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