रविवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर हिंदू सेना और कुछ अन्य समूहों द्वारा आयोजित 'महापंचायत' को यति नरसिंहानंद सहित कुछ वक्ताओं द्वारा कथित तौर पर "भड़काऊ भाषण" देने के बाद पुलिस ने बीच में ही रोक दिया। यह महापंचायत हरियाणा के नूंह में हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर हो रही थी।
आयोजकों के अनुसार, गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के विवादास्पद मुख्य पुजारी यति नरसिंहानंद उन वक्ताओं में शामिल थे, जिन्हें पुलिस ने "मौखिक अनुमति" दी थी। हालाँकि, पुलिस ने कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
अखिल भारतीय सनातन फाउंडेशन और अन्य संगठनों द्वारा आयोजित 'महापंचायत' को संबोधित करते हुए यति नरसिंहानंद ने कहा, ''अगर हिंदुओं की आबादी घटेगी और मुसलमानों की आबादी इसी तरह बढ़ेगी, तो हजारों साल का इतिहास खुद को दोहराएगा। फिर पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ जो हुआ वह यहां दोहराया जाएगा।” जब वो यह सब बोल रहे थे तो पुलिस ने उनसे भाषण रोकने को कहा। पुलिस ने कहा कि वो मंच पर नफरती भाषण नहीं दे सकते। पुलिस ने अदालत के निर्देश का हवाला भी दिया।
पुलिस अधिकारियों ने वहां कहा- “आपसे, आयोजकों से, किसी विशेष धर्म के बारे में कुछ भी न कहने के लिए कहा गया था। इसके बावजूद आप इसका पालन नहीं कर रहे हैं, इसलिए यह 'महापंचायत' यहीं समाप्त कराई जा रही है।''
सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को कहा था कि किसी भी धार्मिक समुदाय के खिलाफ घृणा फैलाने वाले भाषण अस्वीकार्य हैं। हिन्दू महापंचायत कोर्ट के आदेश के नौ दिन बाद जंतर मंतर पर हुई। आयोजक ने एक मिनट के लिए भी अदालत के निर्देशों की परवाह नहीं की। सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को यह भी कहा ता कि पुलिस बलों को कुछ संवेदनशीलता दिखानी होगी। उस पर हम केंद्र और राज्यों की सहायता चाहेंगे। आख़िरकार, शांति बनाए रखना हर किसी के हित में है।'' सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की थी जब नूंह में धार्मिक यात्रा के दौरान साम्प्रदायिकता भड़काने वाले भाषण दिए गए, मुस्लिमों के बहिष्कार की बात कही गई।
यति नरसिंहानंद अपनी हेट स्पीच के लिए कुख्यात है। इससे पहले, डासना मंदिर के पुजारी को हेट स्पीच मामले में जमानत मिल चुकी है। उन पर हरिद्वार और दिल्ली में कई जगह हेट स्पीच का आरोप है। दिसंबर 2021 में हरिद्वार धर्म संसद में नरसिंहानंद के हेट स्पीच पर विश्वव्यापी प्रतिक्रिया हुई थी।
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