हेमंत सोरेन
जेएमएम - बरहेट
आगे
हेमंत सोरेन
जेएमएम - बरहेट
आगे
पूर्णिमा दास
बीजेपी - जमशेदपुर पूर्व
आगे
झारखंड में एक चुनावी रैली में एक विवादित बयान के लिए इंडिया गठबंधन ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा पर कार्रवाई की मांग की है। उनपर आरोप है कि झारखंड में एक चुनावी रैली के दौरान भड़काऊ और विभाजनकारी भाषण दिया। इंडिया गठबंधन ने मुख्य चुनाव अधिकारी से सरमा के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने को कहा है।
वैसे, हिमंत के ख़िलाफ़ न तो यह कोई पहली शिकायत है और न ही उनका यह कोई पहला विवादास्पद बयान। दरअसल, वह लगातार ऐसे विवादित बयान देते रहे हैं। वह पहले कैसे-कैसे विवादित बयान देते रहे हैं, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर ताज़ा मामला क्या है।
इंडिया गठबंधन द्वारा चुनाव आयोग और राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सौंपे गए पत्र में कहा गया है कि हिमंत सरमा ने 1 नवंबर को सारथ में एक कार्यक्रम में मुसलमानों को निशाना बनाया।
पत्र में कहा गया है, "भाषण में मुस्लिम अल्पसंख्यकों को निशाना बनाते हुए उन्होंने अत्यंत विभाजनकारी और नफरती शब्दों का प्रयोग किया है। उन्होंने कहा है कि 'वो लोग एक ही जगह पर वोट डालते हैं लेकिन हमारा हिंदू आधा वोट इधर डालेगा आधा उधर' और 'ये सरकार घुसपैठियों को बुलाती है क्योंकि विशेष समुदाय उनको वोट देता है', यह साफ़ मिसाल है कि आगामी विधानसभा चुनावों में गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा करने और हिंसा भड़काने के लिए उनके द्वारा किस तरह की जहरीली भाषा का प्रयोग किया जा रहा है।'
सरमा ने हाल ही में बयान दिया था कि राज्य में मियां लोगों की आबादी इतनी ज्यादा हो जाएगी कि वो असम पर कब्जा कर लेंगे। उन्होंने कहा था कि राज्य में बंगाली भाषी मुसलमानों का कब्ज़ा हो जाएगा। 17 जुलाई को उन्होंने झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या उठाते हुए कहा था कि 'बदलती आबादी मेरे लिए एक बड़ा मुद्दा है। असम में आज मुस्लिम आबादी 40 फीसदी तक पहुंच गई है। 1951 में यह 12% थी। हमने कई जिले खो दिए हैं। मेरे लिए यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। यह मेरे लिए जीवन और मृत्यु का मामला है।'
हिमंत बिस्व सरमा ने पिछले साल अक्टूबर में कहा था कि बीजेपी को अगले 10 वर्षों तक 'चार' (नदी का रेतीला इलाका) क्षेत्रों के 'मियाँ' लोगों के वोटों की जरूरत नहीं है, जब तक कि वे बाल विवाह जैसी प्रथाओं को छोड़कर खुद में सुधार नहीं कर लेते।
सरमा ने कहा कि 'मियाँ' लोग उनका, पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी का समर्थन करते हैं, लेकिन वे उन्हें वोट दिए बिना हमारे पक्ष में नारे लगाना जारी रख सकते हैं। 'मियाँ' शब्द बंगाली भाषी मुसलमानों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है।
पिछले साल सितंबर में सरमा ने राहुल गांधी के सरनेम को लेकर विवादास्पद बयान दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि 'गांधी जी ने देश को आज़ाद किया और आप लोगों (नेहरू-गांधी परिवार) ने सरनेम को हड़प लिया'। उन्होंने यहाँ तक कहा कि ये लोग 'डुप्लीकेट गांधी' बन गए। वह सवाल करते हैं कि 'आप कौन से फॉर्मूले पर... इंदिरा गांधी, राहुल गांधी, राजीव गांधी, प्रियंका गांधी... कौन सा फ़ॉर्मूले पर गांधी होता है।... इंडिया का जो पहला स्कैम शुरू हुआ वह टाइटल से ही शुरू हुआ।'
उनके इस बयान पर कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा था, 'आपका नाम आपके पिता श्री कैलाश नाथ सरमा जी से ही पड़ा ना? वैसे ही राजीव जी का अपने पिता फ़िरोज़ गांधी से पड़ा और वही उनके पोते का भी हुआ। गिरे हुए तो आप बहुत हैं - सड़े हुए भी काफ़ी हैं।'
पिछले साल जुलाई में उन्होंने मुस्लिमों को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने यह दावा करके एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था कि मुस्लिम सब्जी विक्रेता सब्जियों की कीमतें बढ़ा रहे हैं, और अगर 'असमिया लोग' सब्जियां बेचते, तो वे कभी भी 'अपने असमिया लोगों' से अधिक पैसा नहीं लेते। सरमा ने कहा, 'वे कौन लोग हैं जिन्होंने सब्जियों की कीमत इतनी बढ़ा दी है? वे मियां व्यापारी हैं, जो ऊंची कीमत पर सब्जियां बेच रहे हैं।'
उन्होंने दो साल पहले नवंबर में गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी की तुलना पूर्व इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन से कर दी थी। उन्होंने राहुल पर तंज कसते हुए कहा था, 'आपका चेहरा सद्दाम हुसैन जैसा क्यों होता जा रहा है।' उन्होंने कहा था, 'मैंने अभी देखा कि उनका चेहरा भी बदल गया है। मैंने कुछ दिन पहले एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि उनके नए लुक में कुछ भी ग़लत नहीं है। लेकिन अगर आपको चेहरा बदलना है तो कम से कम सरदार वल्लभभाई पटेल या जवाहरलाल नेहरू की तरह बनिए। गांधीजी की तरह दिखें तो अच्छा है। लेकिन आपका चेहरा सद्दाम हुसैन जैसा क्यों हो गया है?'
हिमंत बिस्व सरमा ने एक बार कहा था कि जो कोई भी मदरसों को बंद करता है और समान नागरिक संहिता की बात करता है, वह वास्तव में भारतीय मुसलमानों का हितैषी है। इसके अलावा भी कई और ऐसे ही बयान देते रहे हैं।
About Us । Mission Statement । Board of Directors । Editorial Board | Satya Hindi Editorial Standards
Grievance Redressal । Terms of use । Privacy Policy
अपनी राय बतायें