केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर की स्थिति का अध्ययन करने और उस पर एक समेकित रिपोर्ट तैयार करने के लिए ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर्स बनाया है। यह समूह 30 अगस्त को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। इस समूह की अध्यक्षता विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद करेंगे। इस समिति में गृह मंत्री और रक्षा मंत्री भी होंगे।
इस समिति की घोषणा सुप्रीम कोर्ट से झटका मिलने के बाद की गई। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम फ़ैसले में कहा कि अनुच्छेद 370 में हुए बदलाव की समीक्षा करने के लिए एक खास पीठ का गठन करेगी, जिसमें 5 सदस्य होंगे। यह बेंच अक्टूबर में इस मामले पर सुनवाई करेगी और समीक्षा करेगी। अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया है। इसके बाद आनन फानन में सरकार ने मंत्रियों के समूह के गठन का एलान कर दिया।
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केंद्र से माँगी जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से संचार की बहाली पर भी जानकारी माँगी है। कोर्ट का यह निर्णय उस एक याचिका पर सुनवाई को लेकर आया है जिसमें याचिकाकर्ता ने माँग की थी कि संचार के सभी माध्यम बहाल किए जाएँ ताकि मीडिया स्वच्छंद रूप से क्षेत्र में काम कर सके। 'कश्मीर टाइम्स' की कार्यकारी संपादक ने संचार माध्यमों की बहाली के लिए सुप्रीम कोर्ट से सरकार को निर्देश देने का निवेदन किया था। उन्होंने यह भी माँग की थी कि मीडिया कर्मियों को कश्मीर और जम्मू के कुछ ज़िलों में आवाजाही पर पाबंदी से छूट दी जाए।मंत्रियों के समूह के गठन की घोषणा ऐसे समय हुई है जब केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर का स्थानीय प्रशासन बार-बार कह रहा है कि राज्य की स्थिति बिल्कुल सामान्य है। लेकिन वहँ से छन-छन कर आ रही रिपोर्टों से पता चलता है कि ऐसा नहीं है। घाटी में अभी भी बंदी के हालात हैं, चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल तैनात हैं, स्कूल-कॉलेज, बाज़ार बंद हैं। रपटें तो यह भी आ रही हैं कि अब सुरक्षा बल के लोग स्थानीय लोगों से कह रहे है ंकि वे दुकान-बाज़ार खोलें, पर स्थानीय लोग इससे इनकार कर रहे हैं। इसी तरह स्कूल तो खुले, पर उनमें बच्चों की मौजूदगी बहुत ही कम रही। इसके मद्देनज़र यह बिल्कुल स्वाभाविक है कि सरकार के दावों पर सवाल उठे।
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