कोरोना संकट की गंभीरता हर रोज़ 4 लाख से ज़्यादा पॉजिटिव केस आने और क़रीब 4 हज़ार मौतों से तो पता चलती ही है, लेकिन अब सरकार ने गंभीर मरीज़ों सहित कोरोना से जुड़े जो आँकड़े जारी किए हैं, वे क्या संकेत देते हैं? क्या कोरोना पहली लहर से ज़्यादा घातक है? इन आँकड़ों से ख़ुद अंदाज़ा लगाइए। क़रीब 50 हज़ार कोरोना मरीज़ आईसीयू में हैं। 14 हज़ार 500 वेंटिलेटर पर हैं। और 1.37 लाख मरीज़ ऑक्सीज़न सपोर्ट पर हैं। ये आँकड़े स्वास्थ्य मंत्रालय ने ही शनिवार को जारी किए हैं। हालाँकि रिपोर्ट में यह साफ़ नहीं किया गया है कि कितने मरीज़ आईसीयू में भर्ती होने की स्थिति में हैं लेकिन उन्हें बेड नहीं मिल पा रहा है, कितने मरीज़ों को वेंटिलेटर की ज़रूरत है और कितने मरीज़ों को ऑक्सीजन सपोर्ट की।
यह कोरोना की दूसरी लहर है। लेकिन पहली लहर में ऐसे हालात नहीं थे। न तो हर रोज़ संक्रमण के मामले इतने आ रहे थे और न ही इतनी संख्या में मौतें हो रही थीं। पहली लहर में एक दिन में सबसे ज़्यादा संक्रमण के मामले क़रीब 97 हज़ार आए थे, जो दूसरी लहर में हर रोज़ आ रहे 4 लाख से काफ़ी कम थे। जाहिर है पहली लहर में गंभीर मरीज़ों की संख्या भी इतनी ज़्यादा नहीं थी।
अब ताज़ा हालात हैं उसमें अस्पताल के बेड कम पड़ रहे हैं। आईसीयू बेड, वेंटिलेटर कम पड़ रहे हैं। मेडिकल ऑक्सीजन की कमी होने लगी है। दवाएँ कम पड़ रही हैं।
हालाँकि पहली लहर के दौरान भी कई राज्यों में अस्पताल बेड और स्वास्थ्य कर्मियों के कम पड़ने की रिपोर्टें आई थीं। पिछले साल इतनी बड़ी संख्या में कोरोना के मरीज़ नहीं थे। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार जब पहली लहर सितंबर में शिखर पर थी तब 23 हज़ार मरीज़ आईसीयू में थे, 4000 से कम मरीज़ वेंटिलेटर पर थे और क़रीब 40 हज़ार ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे।
शनिवार को कोरोना को लेकर जो ताज़ा आँकड़े स्वास्थ्य विभाग ने जारी किए हैं उसके अनुसार 7 मई को सक्रिए मामले क़रीब 37.23 लाख थे इसमें से 1.34 फ़ीसदी मरीज़ यानी 49 हज़ार 894 आईसीयू में थे।
वेंटिलेटर वाले मरीज़ों और ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीज़ों की संख्या भी पहली लहर से क़रीब साढ़े तीन गुना ज़्यादा हो गई।
कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर के बीच कोरोना सक्रिए मामलों में भी बहुत बड़ा अंतर है। पहली लहर के शिखर पर होने दौरान क़रीब 10.17 लाख कोरोना के सक्रिए मामले थे, लेकिन अब यह तीन गुने से भी ज़्यादा 37.23 लाख केस पहुँच गया है।
पहली और दूसरी लहर की तुलना करने पर साफ़ पता चलता है कि क्रिटिकल केयर की ज़रूरत वाले मरीज़ों की संख्या काफ़ी ज़्यादा बढ़ गई है लेकिन इसी हिसाब से सक्रिये मामलों की संख्या भी बढ़ी है। हर रोज़ के संक्रमण के मामले भी बढ़े हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि अब तक 4 लाख 88 हज़ार 861 मरीज़ गंभीर स्थिति में पहुँचे जिन्हें आईसीयू बेड की ज़रूरत हुई, 1 लाख 70 हज़ार 841 मरीज़ों को वेंटिलेटर सपोर्ट की ज़रूरत हुई और 9 लाख 2 हज़ार 291 मरीज़ों को ऑक्सीज़न सपोर्ट की ज़रूरत हुई।
बता दें कि अब तक देश में कुल 2.18 करोड़ कोरोना से संक्रमित हुए हैं। इस हिसाब से अब तक 2.23 फ़ीसदी मरीज़ों को आईसीयू में भर्ती होने की ज़रूरत पड़ी है, 0.78 फ़ीसदी को वेंटिलेटर और 4.12 फ़ीसदी को ऑक्सीज़न सपोर्ट की ज़रूरत पड़ी है। क़रीब 93 फ़ीसदी लोग बिना किसी क्रिटिकल केयर के ही ठीक हो चुके हैं।
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