पूर्वी लद्दाख के गलवान में साढ़े चार साल पहले झड़प के बाद एलएसी पर जो पेट्रोलिंग रुकी हुई थी, वह अब फिर से शुरू होगी। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को घोषणा की कि भारत और चीन सीमा पर पीछे हटने और वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर गश्त फिर से शुरू करने के लिए एक समझौते पर पहुँच गए हैं। यह घटनाक्रम तब हुआ है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 22-23 अक्टूबर को होने वाले 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रूस की यात्रा करने वाले हैं।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि पिछले कई हफ्तों में हुई चर्चाओं के बाद भारत-चीन सीमा क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त व्यवस्था पर एक समझौता हुआ है। उन्होंने कहा कि इससे पीछे हटने और 2020 में इन क्षेत्रों में उठे मुद्दों का समाधान करने की ओर वे आगे बढ़ रहे हैं।
विदेश सचिव ने 2020 के जिन मुद्दों का ज़िक्र किया है वह पूर्वी लद्दाख के गलवान से जुड़ा मामला है। 5 मई 2020 को चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की थी। इसका नतीजा यह हुआ था कि बाद में 15 जून को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। कई चीनी सैनिकों के मारे जाने की भी ख़बरें आई थीं।
2020 में हुई उस झड़प के बाद दोनों देशों के बीच मुद्दों को सुलझाने के लिए कई दौर की वार्ता हो चुकी है। प्रत्येक पक्ष के एलएसी पर अभी करीब 50,000 से 60,000 सैनिक हैं। यही वजह है कि पूर्वी लद्दाख में 1597 किलोमीटर वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी के साथ भारत और चीनी सेना के बीच एक असहज गतिरोध बना हुआ है।
मिस्री ने कहा कि भारतीय और चीनी राजनयिक और सैन्य वार्ताकार विभिन्न मंचों पर एक-दूसरे के साथ निकट संपर्क में रहे हैं और इन चर्चाओं के कारण एलएसी पर गश्त व्यवस्था पर सहमति बन गई है।
अब इसी एलएसी पर सहमति को लेकर विदेश सचिव का बयान आया है। पेट्रोलिंग के लिए सहमति बनने का यह घटनाक्रम तब हुआ है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 22-23 अक्टूबर को होने वाले 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रूस की यात्रा करने वाले हैं। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ संभावित द्विपक्षीय बैठक के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा, 'हाल के हफ्तों में भारत और चीन के बीच कूटनीतिक और सैन्य चर्चाएं चल रही हैं। हम अभी भी किसी भी द्विपक्षीय बैठक के लिए समय और विवरण का समन्वय कर रहे हैं।'
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