किसी को अपने पिता के लौटने का इंतज़ार था तो किसी को अपने बेटे का। किसी को अपने पति का तो किसी को अपने भाई और दोस्त का। जब आख़ीरी बार बातें हुई थीं तो जल्द लौटने का वादा किया था। घरवाले इंतज़ार में थे। वे लौटे भी। लेकिन तिरंगे में लिपटे हुए। लौटे उस गौरव और सम्मान के साथ जिसे हर देशवासी पाना चाहता है। अपनी मातृभूमि के लिए ख़ुद को क़ुर्बान तक कर देने का गौरव।