मोदी सरकार पर जिन कारणों से संवैधानिक संस्थाओं को ख़त्म करने का आरोप लगता रहा है कुछ वैसा ही मामला अब सीवीसी यानी मुख्य सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति को लेकर आया है। दरअसल, सीवीसी को नियुक्त करने के लिए जो सर्च कमेटी बनी थी उसके ही एक सदस्य ने सीवीसी के लिए दावेदारी भी जता दी और चौंकाने वाली बात यह है कि उसको शॉर्टलिस्ट भी कर लिया गया। यानी आयुक्त नियुक्त किए जाने के काबिल भी मान लिया गया। हालाँकि, तीखे विरोध के कारण उनको चुना नहीं जा सका। सूत्रों के हवाले से मीडिया में यह रिपोर्ट आई है। यह सीवीसी का वही पद है जिसके पूर्व आयुक्त के वी चौधरी अपने कार्यकाल में काफ़ी विवादों में रहे थे और जिन पर मोदी सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप लगता रहा था। उनके सेवानिवृत्त होने के बाद से पिछले आठ महीने से यह पद खाली है। सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद ही उन्हें रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स में शामिल कर दिया गया था।