दुर्गापूजा की तैयारियाँ हो चुकी हैं और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में उत्सव भी शुरू हो चुका है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वयं कई पूजा पंडालों का उद्घाटन किया है। लेकिन कोरोना से लड़ने वालों के लिए यह चिंता की बात है। आशंका जताई जा रही है कि त्योहारों की वजह से कोरोना संक्रमण बढ़ सकता है।
एनडीटीवी के अनुसार, सरकार की ओर से नियुक्त समिति ने कहा है कि त्योहारों की वजह से कोरोना के मामलों में ज़बरदस्त उछाल आ सकता है और एक महीने में 26 लाख तक नए मामले आ सकते हैं।
त्योहार बाद बदतर हो सकती है स्थिति
समिति ने कहा है कि तमाम कोशिशों के बावजूद सिर्फ 30 प्रतिशत लोगों में रोग-प्रतिरोधी क्षमता विकसित हो सकी है। कमिटी ने कहा है कि यदि एहतियात के सारे उपाय अपनाए गए तो अगले साल के शुरुआती दिनों तक इस महामारी पर पूरी तरह नियंत्रण किया जा सकता है। लेकिन यदि त्योहार के कारण रोकथाम उपायों में छूट दी गई और लापरवाही बरती गई तो स्थिति नियंत्रण से बाहर चली जाएगी और संक्रमण तेजी से बढ़ेगा।
सरकारी कमिटी ने अनुमान लगाया है कि महामारी ख़त्म होते-होते कोरोना से संक्रमित लोगों की कुल तादाद 1.05 करोड़ हो जाएगी। अब तक लगभग 75 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं।
लॉकडाउन नहीं होता तो क्या होता
एनडीटीवी के अनुसार, कमिटी ने यह भी आकलन किया है कि यदि लॉकडाउन नहीं लगाया गया होता तो कोरोना से मरने वालों की संख्या 25 लाख हो सकती थी। अब तक 1.14 लाख लोगों की मौत हो चुकी है।
कमिटी ने केरल के मुख्य उत्सव ओणम के बाद वहाँ कोरोना मामलों में हुई यकायक बढ़ोतरी के हवाले से आशंका जताई है कि उत्तर भारत में आने वाले त्योहार यानी दुर्गापूजा- दीवाली के बाद भी संक्रमण बढ़ सकता है।
अनुमान है कि ओणम के बाद संक्रमण 32 प्रतिशत बढ़ा, लेकिन उसके बाद इलाज वगैरह करने से इसमें 22 प्रतिशत की कमी आई। केरल में 22 अगस्त से 2 सितंबर तक ओणम मनाया गया था और 8 सितंबर के बाद से कोरोना मामले यकायक बढ़ने लगे।
यूरोप में दूसरी लहर
यह चेतावनी ऐसे समय आई है जब यूरोप एक बार फिर कोरोना की चपेट में है। वहां कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर शुरू हो गई है। फ्रांस में आपात स्थिति घोषित की गई है। इंग्लैंड में फिर से लॉकडाउन करने की माँग हो रही है। स्पेन के कुछ हिस्सों में बार और रेस्तराँ फिर से 15 दिन के लिए बंद किए जाएँगे।संक्रमण की दूसरी लहर की आशंका की ख़बर के फैलते ही यूरोप के शेयर बाज़ार बुरी तरह लुढ़के। उनके सूचकांकों में एक दिन में 1.4 फ़ीसदी से लेकर 2.5 फ़ीसदी तक गिरावट देखी गई। यानी बाज़ार भी नकारात्मक संकेत दे रहे हैं।
भारत में भी दूसरी लहर
भारत में भी यह आशंका जताई जा रही है कि पहली लहर ख़त्म हो चुकी है और अब दूसरी लहर आने वाली है। देश में 16 सितंबर को क़रीब 98 हज़ार कोरोना संक्रमण के मामले आए थे, लेकिन क़रीब एक महीने में 13 अक्टूबर को संक्रमितों की संख्या क़रीब 55 हज़ार ही रही है। पिछले एक महीने में हर रोज़ आने वाले कोरोना संक्रमण के मामले औसत रूप से कम होते जा रहे हैं और यह संख्या आधे के आसपास पहुँच गयी है।
सवाल यह है कि क्या कोरोना संक्रमण ढलान पर है और इस वजह से निश्चिंत हुआ जा सकता है? कहीं ऐसा तो नहीं कि संक्रमण का दूसरा चरण आए और वह पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ी से फैले?
दूसरी ओर, कोरोना टीका के जल्द बन कर तैयार होने की जो उम्मीद जगी थी, उसे भी झटका लगा है। एस्ट्राजेनेका के टीके का परीक्षण रोक दिया गया है। स्वास्थ्य समाचार वेबसाइट 'स्टेटस न्यूज़' की रिपोर्ट के अनुसार जिन व्यक्तियों पर इस टीके का अध्ययन किया जा रहा था उनमें से एक प्रतिभागी में एक संदिग्ध गंभीर प्रतिकूल प्रतिक्रिया देखने को मिली। इसके बाद इस कोरोना टीके के आख़िरी चरण के परीक्षण को रोक दिया गया।
इन तमाम ख़बरों के बीच यह आशंका कि त्योहारों के बाद संक्रमण एक बार फिर बढ़ सकता है, वाकई डराने वाली है।
अपनी राय बतायें