गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साज़िश का मामला भारत का पीछा इतनी आसानी से छोड़ने वाला नहीं है। इस मामले में एक के बाद एक शीर्ष नेताओं के बयान आने के बाद अब एफ़बीआई प्रमुख भारत आने वाले हैं। संघीय जांच ब्यूरो यानी एफबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर ए रे अगले सप्ताह भारत का दौरा करने वाले हैं। माना जा रहा है कि वह भारतीय एजेंसी एनआईए के साथ पन्नू मामले में सबूतों पर चर्चा करेंगे।
एफबीआई का यह दौरा तब होने वाला है जब अमेरिकी संघीय अभियोजकों द्वारा एक भारतीय नागरिक और एक अनाम भारतीय अधिकारी पर आरोप लगाया गया है कि अमेरिकी धरती पर गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश रची गई। अमेरिका द्वारा इस मामले को भारत के सामने उठाए जाने के बाद सरकार ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि वह इस मामले की जाँच कर रही है।
अमेरिका ने एक भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता का नाम लिया है। निखिल गुप्ता पर पन्नू को मारने के लिए एक हिटमैन को नियुक्त करने के लिए एक भारतीय सरकारी एजेंसी के कर्मचारी के साथ काम करने का आरोप लगाया गया है।
अमेरिकी जांच एजेंसियों ने निखिल गुप्ता को पकड़ा है जिस पर आरोप है कि भारतीय अधिकारी ने गुप्ता के जरिए अंडर कवर एजेंट भाड़े पर लिए थे और गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की गहरी साजिश अमेरिका में रची जा रही थी। कथित भारतीय अधिकारी द्वारा भेजे गए संदेश पकड़े गए हैं, जिनसे इस साजिश का पता चला। सभी दस्तावेज अमेरिका के मैनहट्टन फेडरल कोर्ट में जमा कराए गए हैं।
अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा है कि उनका देश पन्नू की हत्या की साजिश में एक भारतीय अधिकारी की संलिप्तता के आरोपों से जुड़े मामले को बेहद गंभीरता से ले रहा है।
इसी बीच अब सूत्रों के हवाले से ख़बर आई है कि 11-12 दिसंबर को यहाँ आने वाले रे की राष्ट्रीय जाँच एजेंसी यानी एनआईए प्रमुख दिनकर गुप्ता के साथ बैठक में इस मुद्दे के उठाए जाने की संभावना है।
2017 में कार्यभार संभालने के बाद रे की यह पहली भारत यात्रा है, और 12 वर्षों में किसी एफबीआई निदेशक की पहली यात्रा है। द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि तैयारियाँ शुरू हो गई हैं और एनआईए प्रतिबंधित सिख फॉर जस्टिस संगठन के संस्थापक पन्नू के खिलाफ मामलों और सबूतों सहित कई मुद्दों पर चर्चा करेगी। सूत्रों ने कहा कि रे के केंद्रीय खुफिया एजेंसियों और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मिलने की संभावना है। समझा जाता है कि खालिस्तानी आतंकवादियों से जुड़े सबूत भी रखे जा सकते हैं।
बता दें कि गुरपतवंत सिंह पन्नू का नाम तब चर्चा में आया था जब कुछ सिख युवकों ने सिख फॉर जस्टिस यानी एसएफजे बनाई और कानूनी सलाहकार और प्रवक्ता के रूप में पन्नू को नियुक्त किया। एसएफजे ने अपने घोषणापत्र में कहा कि उनकी संस्था का मक़सद भारत में अलग खालिस्तान देश बनाना है। पन्नू के बयानों ने सिर्फ पंजाब में ही नहीं पूरे भारत में हलचल मचा दी। भारत के कई शहरों में खालिस्तानी नारे दिखाई देने लगे और उसके नीचे एसएफजे लिखा होता। इन सारी करतूतों के पीछे एक ही नाम बार-बार सामने आ रहा था, वो था पन्नू का नाम।
भारत में पन्नू के खिलाफ केस दर्ज हुए। 2020 में भारत सरकार ने उसे आतंकवादी के रूप में नामजद किया और उसकी खेती की जमीन को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 51 ए के तहत जब्त कर लिया गया। गुरपतवंत सिंह पन्नू वर्तमान में भारत में राजद्रोह के तीन आरोपों सहित 22 आपराधिक मामलों का सामना कर रहा है।
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