जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्य मंत्री और बुजुर्ग नेता फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने गृह मंत्री अमित शाह पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि उन्हें और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला को उनके ही घर में नज़रबंद कर दिया गया था। उनका यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है कि अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में बहस में भाग लेते हुए कहा कि अब्दुल्ला को गिरफ़्तार नहीं किया गया है, वे जहाँ हैं, अपनी मर्जी से हैं।
अंग्रेजी टेलीविज़न चैनल एनडीटीवी से बात करते हुए फ़ारूक़ काफ़ी भावुक हो गए। उन्होंने कहा, 'मुझे अपने ही घर में नज़रबंद कर दिया गया था। मुझे दुख है कि गृह मंत्री इस तरह झूठ बोल रहे हैं।' लोकसभा में बहस के दौरान नेशनल कांग्रेस पार्टी की सदस्य सुप्रिया सुले ने अब्दुल्ला की गिरफ़्तारी का सवाल उठाया। विपक्ष के दूसरे लोगों ने भी इस पर चिंता जताई कि जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा के राजनेताओं को गिरफ़्तार कर लिया गया है। इस पर अमित शाह ने कहा, 'उन्हें न तो नज़रबंद किया गया है न ही गिरफ़्तार। वे अपनी मर्ज़ी से अपने घर पर हैं।'
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उन्होंने क्षेत्र बाँट दिया, क्या अब वे दिल भी बाँटेंगे? क्या वे हिन्दू-मुसलमान का बँटवारा करेंगे? मैंने तो सोचा था कि हमारा भारत सबके लिए है, धर्मनिरपेक्ष देश है।
फ़ारूक अब्दुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री, जम्मू-कश्मीर
फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने कहा, 'यह छोटी बात नहीं है कि हमें यह राज्य दिया गया। यह सामान्य बात नहीं थी। यह नेहरू जैसे नेताओं ने दिया था। हम मिल बैठ कर बात करेंगे इसे तार्किक परिणति तक ले जाएँगे। हम हार नहीं मानेंगे।' उन्होंने यह सवाल उठाया कि इस स्थिति में आम जनता का क्या हाल होगा। उन्होंने कहा, 'मुझे घर में बंद कर दिया गया, न दवा थी, न खाने पीने की चीजें, आम जनता का क्या हुआ होगा।'
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मैं अपने राज्य और भारत के लोगों से कहना चाहता हूं, हम लोग सुख दुख में साथ-साथ रहे। मैं उम्मीद करता हूँ कि इस घड़ी में भी आप हमारा साथ देंगे, हमारे देश में लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता की वापसी के लिए प्रार्थना करें।
फ़ारूक अब्दुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री, जम्मू-कश्मीर
अनुच्छेद 370 से जुड़ा फ़ैसला लेने से एक दिन पहले रविवार की रात को ही जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा के बड़े नेताओं को नज़रबंद कर दिया गया था। पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की महबूबा मुफ़्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला और फ़ारूक अब्दुल्ला के अलावा पीपल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन को भी अपने-अपने घरों में नज़रबंद कर दिया गया था। सोमवार की शाम उन्हें विधिवत गिरफ़्तार कर लिया गया। इस पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है। कई लोगों ने इसका विरोध किया है। पूर्व सॉलिसीटर जनरल सोली सोराबजी ने मंगलवार को इस पर दुख जताते हुए कहा कि यह ग़ैर ज़रूरी है, अप्रिय फ़ैसला है।
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