यूरोपीय संसद की मानवाधिकार उप समिति ने भारत में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर हो रही कार्रवाइयों को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों का उल्लंघन बताते हुए इस पर चिंता जताई है।
इस उप समिति की अध्यक्ष मारिया अरीना ने सरकार को एक चिट्ठी लिख कर कहा है कि आनंद तेलतुम्बडे और गौतम नवलखा की गिरफ़्तारी और उन पर अनलॉफुल एक्टिविटीज़ प्रीवेन्शन एक्ट लगाना चिंता की बात है।
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आतंकवादी गतिविधि?
यूरोपीय संसद ने कहा है कि नागरिकता संशोधन क़ानून जैसी सरकारी नीतियों के वैध और शांतिपूर्ण विरोधों को भी आतंकवादी गतिविधि क़रार दिया जाता है और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया जाता है, उन्हें परेशान किया जाता है।अरीना ने गृह मंत्री अमित शाह को लिखी चिट्ठी में सफ़ूरा ज़रगर, गुलफ़िशा फ़ातिमा, खालिद सैफ़ी, मीरान हैदर, शिफ़ा-उर-रहमान, डॉक्टर कफ़ील ख़ान, आसिफ़ इक़बाल और शरजील इमाम की गिरफ़्तारी को ग़लत बताते हुए इस पर भी चिंता जताई है।
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ख़त में कहा गया है कि अनलॉफ़ुल एक्टिविटीज़ एक्ट के तहत आतंकवादी शब्द की कोई तय परिभाषा नहीं है। इससे सरकार किसी को कभी भी जेल में डाल सकती है।
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