चुनावी बांड के सबसे बड़े खरीदारों में निर्माण क्षेत्र की कंपनियां भी शामिल हैं। कम से कम 11 कंपनियों ने 506 करोड़ रुपये से अधिक के बांड खरीदे हैं। सारे बांड केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई के बाद खरीदे गए। चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि छोटी से मझोली निर्माण कंपनियों ने या उनसे जुड़ी कंपनियों ने भी जमकर चुनावी बांड खरीदे।