loader

चुनाव आयोग सवालों के घेरे मेंः टीएमसी, बीजेपी, बीजेडी की एक जैसी शिकायतें क्यों

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भारतीय चुनाव आयोग में ज्ञापन देकर मतदाता सूची में कथित हेरफेर के मुद्दे को उठाया। दोनों दलों ने अपनी-अपनी याचिकाएं आयोग में पेश कीं और इस संबंध में कार्रवाई की मांग की। इसके अलावा, बीजू जनता दल (बीजेडी) ने भी आयोग में ज्ञापन देकर ओडिशा में 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मतदान में असामान्य अंतर की शिकायत की है।

टीएमसी की शिकायत

टीएमसी के डेरेक ओ’ब्रायन और कल्याण बनर्जी ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार से मंगलवार को मुलाकात की। उन्होंने देशभर में मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) के दोहरेपन की समस्या को उठाया। टीएमसी ने दावा किया कि एक ही ईपीआईसी नंबर के साथ कई मतदाताओं को पहचान पत्र जारी किए गए हैं। चार पन्नों के एक ज्ञापन में टीएमसी ने कहा कि ईपीआईसी नंबर में तीन अक्षरों का "फंक्शनल यूनिक सीरियल नंबर (एफयूएसएन)" और सात अंक होते हैं, जो हर विधानसभा क्षेत्र के लिए अलग और अद्वितीय होने चाहिए। फिर भी, विभिन्न राज्यों में कई विधानसभा क्षेत्रों में एक ही नंबर के ईपीआईसी जारी किए गए हैं।

ताजा ख़बरें

टीएमसी सांसद सागरिका घोष ने मीडिया से कहा कि आधार नंबरों का भी दोहराव हुआ है, जिसका असर ईपीआईसी नंबरों पर पड़ा, क्योंकि निर्वाचन आयोग ने ईपीआईसी को आधार से जोड़ना शुरू किया है। पार्टी ने यह भी सवाल उठाया कि आयोग ने फॉर्म 6 बी में यह स्पष्ट क्यों नहीं किया कि आधार को ईपीआईसी से जोड़ना पूरी तरह स्वैच्छिक है और अनिवार्य नहीं। टीएमसी ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में मतदाता सूची में मनमाने ढंग से नाम हटाए और जोड़े गए हैं। उन्होंने मांग की कि हर संशोधित मतदाता सूची के साथ हटाए गए, जोड़े गए और संशोधित मतदाताओं की अलग सूची जारी की जाए।

बीजेपी की शिकायतः बीजेपी नेताओं ने पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची में हेरफेर का आरोप लगाया। बीजेपी के बंगाल इकाई अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और राज्य के सह-प्रभारी अमित मालवीय के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने आयोग को याचिका सौंपी। इसमें दावा किया गया कि पश्चिम बंगाल में 13 लाख अवैध मतदाता, जिनमें बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल हैं, मतदाता सूची में जोड़े गए हैं। बीजेपी ने कहा कि 8,415 लोगों के पास समान ईपीआईसी नंबर हैं और वे बंगाल में मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं।

बीजेडी की मांग

बीजू जनता दल ने ओडिशा में 2024 के चुनावों में मतदान में "असामान्य अंतर" का आरोप लगाया और ज्ञापन आयोग को सौंपा। बीजेडी ने मांग की कि पूरे निर्वाचन प्रक्रिया की समय-समय पर ऑडिट सीएजी या स्वतंत्र ऑडिटरों द्वारा की जाए, हर बूथ में वीवीपैट स्लिप की गिनती ईवीएम से मिलान की जाए, और जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्धारित शुल्क के भुगतान पर एक महीने के भीतर फॉर्म 17सी और वीवीपैट की प्रतियां नागरिकों को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जाए।

निर्वाचन आयोग ने बीजेपी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद एक्स पर लिखा कि केवल 18 वर्ष से अधिक आयु के भारतीय नागरिक ही मतदाता के रूप में पंजीकृत हो सकते हैं, जहां वे सामान्य रूप से निवास करते हैं। आयोग ने यह भी कहा कि दोहरे ईपीआईसी नंबर, मृत मतदाता, स्थानांतरित मतदाता और अवैध प्रवासियों सहित सभी चिंताओं को बूथ लेवल ऑफिसर और संबंधित निर्वाचन रजिस्ट्रेशन ऑफिसर द्वारा हल किया जाएगा, जिसमें सभी राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट सक्रिय रूप से भाग लेंगे।
दरअसल, टीएमसी ने मतदाता फोटो पहचान पत्र में गड़बड़ी का मुद्दा उठाने के बाद अभी तक चुनाव आयोग में लिखित विरोध दर्ज नहीं कराया था। अब उसने इसकी लिखित शिकायत भी कर दी है। दूसरी तरफ बीजेपी इस मुद्दे को लगातार दूसरा रुख देने की कोशिश कर रही है। टीएमसी का आरोप है कि बीजेपी ने सिर्फ टीएमसी के ज्ञापन के जवाब में अपनी शिकायत देकर चुनाव आयोग पर दबाव बनाने की कोशिश की है। 
देश से और खबरें
इसे इस तरह भी समझें अगर टीएमसी ईपीआईसी के जरिये मतदाता सूची में हेराफेरा का आरोप लगा रही है तो बीजेपी इसे कथित अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के नाम मतदाता सूची में दर्ज कराये जाने से जोड़ रही है। लेकिन बीजू जनता दल की शिकायत बता रही है कि मतदाता सूची में हेराफेरी कई राज्यों में की गई है। कांग्रेस पहले ही हरियाणा और महाराष्ट्र का मुद्दा उठा चुकी है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की मतदाता सूची में हेराफेरी का मामला उठाया था। अब बीजेडी ने भी वैसे ही आरोप लगाये हैं। इन सब शिकायतों का एक ही मतलब है कि चुनाव आयोग निष्पक्ष चुनाव नहीं करवा पा रहा है।
रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें