हाल ही में, टीएमसी ने दावा किया था कि पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में फर्जी मतदाताओं की संख्या लाखों में है, जिसे बीजेपी शासित राज्यों से लाकर बसाया गया है। पार्टी ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए आयोग से सख्त कार्रवाई की मांग की थी। इन आरोपों के जवाब में आयोग ने कहा कि वह तकनीकी सुधारों के जरिए इस समस्या का समाधान करेगा।
नया मॉड्यूल कैसे काम करेगा?
नए सॉफ्टवेयर विकल्प के तहत, ईआरओ अब मतदाता सूची में डुप्लिकेट ईपीआईसी नंबरों को आसानी से ट्रैक कर सकेंगे। पहले यह सुविधा सीमित थी, जिसके कारण एक ही ईपीआईसी नंबर पर अलग-अलग राज्यों में मतदाता दर्ज होने की शिकायतें सामने आती थीं। आयोग ने पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के सुधार का काम 21 मार्च तक पूरा करने का निर्देश दिया है।मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने 27 फरवरी को कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में पार्टी की संगठनात्मक बैठक में बीजेपी पर 2026 के विधानसभा चुनावों की मतदाता सूची में हेरफेर करने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि बीजेपी अन्य राज्यों, विशेष रूप से राजस्थान और हरियाणा, से "नकली मतदाताओं" को जोड़कर चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है।
ममता ने आरोप लगाया कि बीजेपी हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, बिहार और पंजाब जैसे राज्यों के मतदाताओं को सूची में शामिल करवा रही है। जिनमें से सबसे अधिक संख्या हरियाणा और गुजरात के मतदाताओं की है। उन्होंने यह भी कहा कि इन मतदाताओं के नाम मौजूदा पश्चिम बंगाल के मतदाताओं के इलेक्टोरल फोटो आइडेंटिटी कार्ड (EPIC) नंबरों से जोड़े जा रहे हैं, जिससे वैध मतदाताओं को डुप्लिकेट किया जा रहा है।
कंपनियों का नाम लियाः ममता बनर्जी ने दो एजेंसियों का नाम लेते हुए आरोप लगाया कि भाजपा ने इन्हें इस काम के लिए नियुक्त किया है। इन एजेंसियों के नाम हैं - एसोसिएशन ऑफ ब्रिलियंट माइंड्स और इंडिया 360। उन्होंने कहा कि ये एजेंसियां "भ्रष्ट ब्लॉक स्तरीय रिटर्निंग अधिकारियों" और डेटा एंट्री ऑपरेटरों के साथ मिलकर दिल्ली से निर्देशित होकर यह काम कर रही हैं।
मुख्यमंत्री ने एक सूची प्रदर्शित की और दावा किया कि इसमें अन्य राज्यों के नकली मतदाताओं के सबूत हैं, जो पश्चिम बंगाल के निवासियों के साथ एक ही EPIC नंबर के तहत दर्ज हैं। उन्होंने कहा, "मेरे पास सभी जिलों के सबूत हैं।" हालांकि इन सबूतों के बारे में विस्तृत जानकारी सार्वजनिक रूप से साझा नहीं की गई। उन्होंने दक्षिण दिनाजपुर के गंगारामपुर और मुर्शिदाबाद के रानीनगर जैसे जिलों के उदाहरण दिए, जहां पुराने मतदाताओं को नए मतदाताओं से बदला जा रहा है।
कांग्रेस ने ईसीआई से 2009 से 2024 के बीच हरियाणा और महाराष्ट्र में हुए चुनावों की मतदाता सूची मांगी। लेकिन आयोग ने आनाकानी की। मामला अदालत में पहुंचा। अदालत में आयोग ने कहा कि वो तीन महीने में तय करेगा कि यह मतदाता सूची दी जाए या नहीं। हालांकि आयोग के पास यह मतदाता सूची हर समय तैयार रहती है लेकिन इसके बावजूद आयोग बहाने बना रहा है। हरियाणा और महाराष्ट्र की मतदाता सूचियों में गड़बड़ी की काफी शिकायतें चुनाव के दौरान आई थीं। लेकिन आयोग ने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के मतदान के बाद एग्जिट पोल ने बताया कि राज्य में कांग्रेस सरकार बनने जा रही है। लेकिन नतीजे ठीक उल्टे आये। हरियाणा चुनाव को लेकर वोट फ़ॉर डेमोक्रेसी (वीएफ़डी) ने मतदान प्रतिशत को बाद तक बढ़ाया जाता रहा। महाराष्ट्र में भी यही आरोप लगे। वहां तो एक बिल्डिंग में सात हजार मतदाता पाए गए। नेता विपक्ष राहुल गांधी ने इस मामले को लोकसभा में भी उठाया गया।
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