गोपाल राय
आप - बाबरपुर
जीत
गोपाल राय
आप - बाबरपुर
जीत
प्रवेश सिंह वर्मा
बीजेपी - नई दिल्ली
जीत
सत्येंद्र जैन
आप - शकूर बस्ती
हार
सौरभ भारद्वाज
आप - ग्रेटर कैलाश
हार
चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के शनिवार रात इस्तीफे के बाद सत्तारूढ़ भाजपा के लिए चुनाव पैनल में दो नए आयुक्तों की नियुक्ति करना आवश्यक हो गया है। गोयल के इस्तीफे ने चुनाव की तारीखों की घोषणा से कुछ दिन पहले राजीव कुमार के लिए भी कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। हालांकि कहा जा रहा है कि राजीव कुमार से मतभेदों की वजह से अरुण गोयल ने इस्तीफा दिया। चुनाव कई चरणों में कराने और सुरक्षा बलों की तैनाती को लेकर दोनों अधिकारियों में मतभेद हो गए थे, इसलिए गोयल ने इस्तीफा दिया। दोनों ही अधिकारी अपने दौरे के अंतिम दौर में शनिवार को कोलकाता में थे। वहीं पर कथित मतभेद पैदा हुए। गोयल का इस्तीफा राष्ट्रपति ने फौरन ही मंजूर कर लिया और गोयल कोलकाता से दिल्ली लौट आए। चूंकि चुनाव की तारीखें अगले हफ्ते घोषित की जानी हैं, इसलिए मोदी सरकार को जल्द ही दो या कम से कम एक चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करना होगी।
मई 2024 तक लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पूरा करने के लिए तीन सदस्यों वाले चुनाव आयोग का आगामी चेहरा क्या होगा, यह आयुक्त के पदों पर आने वाले दो नामों से तय होगा। लेकिन जिन संभावित चेहरों को अगले चुनाव आयुक्त के रूप में देखा जा रहा है, उनमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पूर्व प्रमुख संजय कुमार मिश्रा (आईआरएस), पूर्व सीबीडीटी प्रमुख पी सी मोदी (आईआरएस) और जेबी महापात्र (आईआरएस) के नाम हैं। ये सभी मोदी सरकार के नजदीकी लोगों में रहे हैं।
इसके अलावा, निवर्तमान एनआईए प्रमुख दिनकर गुप्ता (आईपीएस) और राधा एस. चौहान (आईएएस) सहित हाल के दिनों में रिटायर और अगले कुछ महीनों में रिटायर होने वाले कुछ अन्य आईएएस अधिकारियों के नाम भी चर्चा में हैं। अगर इन पांच नामों में से किसी पर बात नहीं बनी तो पहले की तरह गुजरात काडर के रिटायर अधिकारियों को भी इन पदों पर लाया जा सकता है।
ईसीआई में चुनाव आयुक्त (ईसी) के चयन के लिए सरकार आने वाले सप्ताह की शुरुआत में जल्द ही चयन समिति की बैठक आयोजित कर सकती है। अरुण गोयल को 12 मार्च को समीक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर जाना था, लेकिन उससे पहले इस्तीफा आ गया। अनूपचंद्र पांडे के रिटायर होने के बाद सरकार ने किसी चुनाव आयुक्त की नियुक्ति नहीं की थी। गोयल इस सप्ताह की शुरुआत में समीक्षा के लिए पश्चिम बंगाल गए थे। चार दिन पहले कोलकाता में संवाददाता सम्मेलन में भी वो शामिल नहीं हुए। केवल मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि गोयल "स्वास्थ्य" कारणों से प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं आए।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि चुनाव आयोग के संविधान के अनुसार एक सदस्यीय निकाय के रूप में चुनाव आयोग कार्य कर सकता है, इसलिए कोई संवैधानिक संकट नहीं है। 2015 में भी, नसीम जैदी के सीईसी बनने के बाद ईसीआई ने एक महीने से अधिक समय तक एक सदस्यीय निकाय के रूप में काम किया था और कुछ महीने बाद दो ईसी की नियुक्ति की गई।
अब, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक कमेची द्वारा की जाएगी जिसमें प्रधान मंत्री अध्यक्ष होंगे। सदस्य के रूप में लोकसभा में विपक्ष के नेता और कोई एक केंद्रीय मंत्री, जिसे प्रधानमंत्री नामित करेंगे। चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया का विधेयक मोदी सरकार ने दिसंबर 2023 में पास कराया था। इसमें भारत के चीफ जस्टिस को बतौर सदस्य हटा दिया गया था। जबकि पहले की नियुक्तियों में चीफ जस्टिस की भी राय होती थी। विपक्ष ने इसका विरोध किया था लेकिन सदन में भाजपा ने शोरशराबे के बीच इस विधेयक को पारित करा लिया था। विपक्ष ने उस समय कहा था कि यह देश की संवैधानिक संस्था को कुचलने की कोशिश है।
अरुण गोयल की नियुक्ति को लेकर शुरू से ही विवाद था। 1985 बैच के आईएएस अधिकारी गोयल ने 18 नवंबर, 2022 को स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले लिया था और एक ही दिन बाद उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था। उनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसने सरकार से पूछा था कि "आखिरकार जल्दबाजी" क्या थी।
2020 में, अशोक लवासा ने मतभेद और असंतोष के बाद चुनाव आयुक्त का पद छोड़ दिया था। 2027 तक कार्यकाल के साथ राजीव कुमार के रिटायरमेंट के बाद 2025 में गोयल सीईसी बनते। लेकिन उससे पहले इस्तीफा दे गए। वह केंद्र सरकार में सचिव थे और 18 नवंबर, 2022 को स्वैच्छिक रिटायरमेंट लिया था, और अगले दिन उन्हें ईसी के रूप में नियुक्त किया गया। नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन याचिकाएं खारिज कर दी गईं। सरकार ने SC में गोयल के मामले का मजबूती से बचाव किया था।
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