दिल्ली हिंसा ने पूरे देश को झकझोर दिया है। और यह शायद जिन्हें नहीं झकझोर पायी है उनको सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी ज़रूर झकझोर देगी! अदालत ने कहा है कि अमेरिका में नेताओं को भड़काऊ बयान देने के कारण गिरफ़्तार कर लिया जाता है। कोर्ट की इस टिप्पणी का इशारा साफ़ था कि भड़काऊ बयान या भाषण देने पर गिरफ़्तारी की जानी चाहिए। ऐसे में जब गिरफ़्तारी होगी तो इसकी गिरफ़्त में कौन-कौन आएगा, यह कहने की ज़रूरत नहीं है। क्या भड़काऊ देने वालों में कपिल मिश्रा के साथ ही गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर व गिरिराज सिंह, प्रवेश वर्मा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दिलीप घोष, एआईएमआईएम के प्रवक्ता वारिस पठान जैसे नेताओं के नाम नहीं होंगे? यह उन्हें भी पता है जो शांति की बात करते हैं और उन्हें भी जो वोट की राजनीति करने के लिए कुछ भी बोल जाते हैं। चाहे उसका परिणाम दिल्ली की हिंसा की तरह क्यों न हो जाए।
दिल्ली हिंसा की भी शुरुआत ऐसे ही भड़काऊ बयानों से हुई। जाफ़राबाद में हिंसा से पहले बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने पुलिस अफ़सर से कहा था, '...आप सबके (समर्थक) बिहाफ़ पर यह बात कह रहा हूँ, ट्रंप के जाने तक तो हम शांति से जा रहे हैं लेकिन उसके बाद हम आपकी भी नहीं सुनेंगे यदि रास्ते खाली नहीं हुए तो... ठीक है?'
दिल्ली चुनाव के दौरान बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी भड़काऊ बयान दिया था। तब उन्होंने चुनावी रैली में नारा लगाया था- 'देश के गद्दारों को...' इस पर भीड़ ने '...गोली मारो... को' बोलकर इस नारे को पूरा किया था। तब यही नारा कपिल मिश्रा ने भी लगाया था।
बीजेपी नेता प्रवेश वर्मा ने नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ शाहीन बाग़ में प्रदर्शन करने वालों के बारे में कहा था कि 'ये लोग घरों में घुसेंगे और बहन व बेटियों का रेप करेंगे।' इन्होंने यह बयान तब दिया था जब दिल्ली में चुनाव का माहौल था।
हाल ही में एआईएमआईएम के प्रवक्ता वारिस पठान ने कहा था, 'ईंट का जवाब पत्थर से देना हमने सीख लिया है लेकिन इकट्ठा होकर चलना होगा। अगर आज़ादी दी नहीं जाती तो हमें छीननी पड़ेगी।… तुम समझ सकते हो कि अगर हम सब एक साथ आ गए तो क्या होगा। 15 करोड़ हैं लेकिन 100 करोड़ के ऊपर भारी हैं। यह याद रख लेना।'
दिल्ली चुनाव के दौरान तब बीजेपी अध्यक्ष रहे और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली की एक चुनावी रैली में कहा था, ‘जब आप 8 फ़रवरी को वोटिंग मशीन का बटन दबाएँ तो इतने ग़ुस्से से दबाना कि बटन यहाँ बाबरपुर में दबे और इसका करंट शाहीन बाग़ में लगे।’
अमित शाह का 'शाहीन बाग़ को करंट लगने वाला' बयान भी हिंदू-मुसलमान को लेकर ध्रुवीकरण करने की कोशिश थी और इसे भड़काऊ बयान कहकर अमित शाह की आलोचना की गई।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दिल्ली में चुनाव प्रचार में कहा था, "कश्मीर में आतंकियों का समर्थन करनेवाले शाहीन बाग़ में प्रोटेस्ट कर रहे हैं और आज़ादी के नारे लगा रहे हैं।' उन्होंने यह भी कहा था, ‘...जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, हर आतंकी की पहचान की जा रही है और उन्हें बिरयानी की जगह गोली दी जा रही है।’
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने हाल ही में बिहार में कहा था- 'हमारे पूर्वजों से ग़लती हो गई। मुसलमान भाइयों को 1947 में ही वहाँ (पाकिस्तान) भेज दिया जाना चाहिए था।'
गिरिराज ने दिल्ली चुनाव में कहा था, “शाहीन बाग़ सुसाइड बॉम्बर का जत्था बनता जा रहा है। ...शाहीन बाग़ में एक महिला का बच्चा ठंड में मर जाता है और वो महिला कहती है कि मेरा बच्चा शहीद हुआ है। ये सुसाइड बॉम्बर नहीं है तो और क्या है?”
उसी समय बीजेपी नेता और तेलंगाना से सांसद बांडी संजय कुमार ने कहा था, ‘अब युद्ध शुरू हो चुका है, अब किसी को भी नहीं छोड़ा जाएगा।’ जब नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहा था तब पश्चिम बंगाल में बीजेपी के नेता दिलीप घोष ने कहा था, ‘कुत्तों की तरह गोली मार देनी चाहिए और यूपी में मारी है’। उनका यह बयान तब आया था जब नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी और इसमें कम से कम 20 लोग मारे गए थे।
झारखंड में विधानसभा चुनाव के दौरान नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में हिंसा करने वालों की तरफ़ इशारा कर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘...ये जो आग लगा रहे हैं, टीवी पर जो उनके दृश्य आ रहे हैं, ये आग लगाने वाले कौन हैं, उनके कपड़ों से ही पता चल जाता है।’
इन नेताओं के ऐसे ही भड़काऊ भाषणों और बयानबाज़ी के बीच शाहीन बाग़ में प्रदर्शन स्थल के आसपास के इलाक़े में एक के बाद एक गोली चलने की कई घटनाएँ सामने आ चुकी हैं। शाहीन बाग़ जैसा प्रदर्शन जाफ़राबाद में भी शुरू हुआ, लेकिन दूसरे पक्ष की ओर से भड़काऊ भाषणों के बाद हिंसा हो गई। अब इतने बड़े पैमाने पर हिंसा हो गई है कि इसने पूरे देश को झकझोर दिया। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद क्या भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं की गिरफ़्तारी होगी?
अपनी राय बतायें