दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अफ़सरों ने कृषि क़ानून के ख़िलाफ़ किसान आन्दोलन चलाने वालों से मुलाक़ात कर संसद के बजाय कहीं और विरोध प्रदर्शन करने की सलाह दी है। उन्होंने इसके साथ ही उन लोगों को उन जगहों के बारे में भी बताया है, जहाँ वे विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं।
सोमवार से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। कृषि क़ानून के ख़िलाफ़ आन्दोलन चलाने वाले किसानों के शीर्ष संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने एलान कर रखा है कि वह मानसून सत्र के दौरान रोज़ाना संसद के बाहर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करेगा।
दिल्ली पुलिस के लोगों ने संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं से मुलाक़ात कर कहा कि वे संसद के बाहर प्रदर्शन न कर दूसरी जगह करें।
क्या करेगी पुलिस?
संयुक्त किसान मोर्चा किसानों के 40 संगठनों का शीर्ष संगठन है। इसके दो सौ सदस्य रोज़ाना संसद के बाहर जमा होकर नारेबाजी करेंगे और शांतिपूर्ण प्रर्दशन करेंगे।
दिल्ली पुलिस के आला अफ़सरों ने शनिवार को मोर्चा के बलबीर सिंह राजेवाला, दर्शन पाल, हन्नान मोल्ला, जोगिंदर सिंह उग्रहान और योगेंद्र यादव से मुलाक़ात की।
दिल्ली के पुलिस आयुक्त बालाजी श्रीवास्तव ने एक बैठक के बाद कहा कि मानसून सत्र शुरू होने के पहले प्रदर्शनकारी किसानों से मिल कर वैकल्पिक जगह पर प्रदर्शन के लिए उन्हें राजी कराना चाहिए।
दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस अपने कुछ खास अफ़सरों और जवानों को मानसून सत्र के दौरान होने वाले किसानों के प्रदर्शन से निपटने के लिए ख़ास ट्रेनिंग दे रही है।
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क्या कहा राकेश टिकैत ने?
बता दें कि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि 22 जुलाई से किसान संसद के नज़दीक धरना देना शुरू करेंगे। सरकार के सामने यह बड़ी चुनौती है क्योंकि 19 जुलाई से संसद का सत्र शुरू हो रहा है।
पंजाब से चले किसान 26 नवंबर को दिल्ली के बॉर्डर्स पर पहुंचे थे और बाद में हरियाणा-राजस्थान में भी किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया था।
इसके बाद किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा के बाद से सरकार और किसानों के बीच बातचीत बंद है।
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हरियाणा में प्रदर्शन
दूसरी ओर, हरियाणा में किसानों और बीजेपी नेताओं के बीच लगातार झड़प चल रही है। बीजेपी नेता और हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा के काफिले पर हमले के मामले में पुलिस ने 100 किसानों पर राजद्रोह का मुक़दमा लगा दिया है।किसानों के हमले में डिप्टी स्पीकर की सरकारी गाड़ी को नुक़सान पहुंचा था। यह घटना 11 जुलाई को सिरसा में हुई थी और उसी दिन इस मामले में पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज की थी।
एफ़आईआर में राजद्रोह की धाराओं के अलावा हत्या के प्रयास की धाराएं भी जोड़ी गई हैं। पिछले साल नवंबर में दिल्ली के बॉर्डर्स पर किसान आंदोलन के शुरू होने के बाद से ही बीजेपी और उसकी सहयोगी जननायक जनता पार्टी के नेताओं को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
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