दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी को भी उसकी जाँच के दायरे को लेकर हिदायत दी है। अदालत ने बुधवार को कहा कि ईडी को अन्य एजेंसियों द्वारा दिए गए सबूतों पर भरोसा करना होता है और वह प्रेडिकेट ओफेंस के मामले में की गई जाँच से परे नहीं जा सकती है। प्रेडिकेट यानी अनुसूचित अपराध उन अपराधों को बताता है जो कुल मिलाकर 1 करोड़ रुपये या उससे अधिक से जुड़ा हो।
दिल्ली हाई कोर्ट ने क्यों कहा- 'ईडी की जाँच का भी दायरा है'?
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- 26 Jan, 2023
विपक्षी दलों की आलोचनाएँ झेलता रहे प्रवर्तन निदेशालय को अब दिल्ली हाई कोर्ट से हिदायत मिली है। जानिए, अदालत ने प्रेडिकेट ओफ़ेंस को लेकर क्या कहा।

हाई कोर्ट ने माना कि ईडी के पास केवल धन शोधन निवारण अधिनियम यानी पीएमएलए के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध की जाँच और पूछताछ करने की शक्ति है और उसमें नहीं जिसमें एक प्रेडिकेट ओफेंस की कल्पना की गई हो। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने कहा कि प्रेडिकेट ओफेंस की आवश्यक रूप से जाँच की जानी चाहिए और उस संबंध में क़ानून द्वारा सशक्त अधिकारियों द्वारा यह की जानी चाहिए। इसने कहा कि ईडी उन अपराधों के कथित कमीशन की जांच करने की शक्ति को अपने आप में नहीं ले सकता।