संसद की सदस्यता जाने पर राजनयिक पासपोर्ट खो चुके राहुल गांधी अब सामान्य पोसपोर्ट रख सकते हैं। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को इसके लिए अनुमति दे दी है। हालाँकि, राहुल गांधी ने 10 साल के लिए मंजूरी मांगी थी, लेकिन अदालत ने उन्हें तीन साल के लिए ही दी है।
राहुल गांधी को संसद से अयोग्य होने के बाद उनके सांसद के विशेषाधिकार ख़त्म हो गए हैं और इस वजह से उन्हें अपने राजनयिक पासपोर्ट को सरेंडर करना पड़ा है। लेकिन उन्हें अब विदेश जाने के लिए एक पासपोर्ट तो चाहिए। तो उन्होंने एक सामान्य पासपोर्ट के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र यानी एनओसी के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उनको अदालत की मंजूरी की आवश्यकता इसलिए थी क्योंकि वह भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर नेशनल हेराल्ड मामले में आरोपी हैं।
नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और सांसद राहुल गांधी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। बीजेपी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया था कि सोनिया और राहुल गांधी ने केवल 50 लाख रुपये का भुगतान कर यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के ज़रिए कांग्रेस के स्वामित्व वाले एसोसिएट जरनल लिमिटेड यानी एजेएल का 90.25 करोड़ का कर्ज अपने नाम ट्रांसफर करवा लिया। इसके बाद एजेएल के 90 फ़ीसदी शेयर भी यंग इंडिया के नाम ट्रांसफर हो गए।
एजेएल की बड़ी संपत्ति भी है। अब आरोप इस बात को लेकर है कि यंग इंडिया कम्पनी एजेएल की प्रॉपर्टी को हड़पना चाहती है। सुब्रह्मण्यम स्वामी का केस हाईकोर्ट में लम्बित है।
बहरहाल, पासपोर्ट के लिए राहुल गांधी की एनओसी जारी करने की अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने राहुल के वकील से कहा, 'मैं आंशिक रूप से आपके आवेदन की अनुमति दे रहा हूं। 10 साल के लिए नहीं, बल्कि तीन साल के लिए।'
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट वैभव मेहता ने पहले कहा था कि यात्रा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और अदालतों ने कांग्रेस नेता के कहीं आने-जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है और उन्होंने अनुमति लिए बिना कई बार यात्राएँ की हैं।
अदालत ने बुधवार को भाजपा के पूर्व सांसद स्वामी से कहा था कि वह अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगने के गांधी के अनुरोध पर शुक्रवार तक अपना जवाब दाखिल करें।
मजिस्ट्रेट ने यह भी कहा कि दिसंबर 2015 में राहुल गांधी को जमानत देते समय अदालत ने उनकी यात्रा पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया था और तब प्रतिबंध लगाने के लिए सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका खारिज कर दी गई थी।
बता दें कि राहुल गांधी को सामान्य पासपोर्ट की ज़रूरत इसलिए पड़ी है क्योंकि उनकी संसद सदस्यता चली गई है। आपराधिक मानहानि के मामले में दो साल की सजा होने के बाद राहुल को लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी को लेकर राहुल को गुजरात की एक अदालत से दो साल की जेल की सजा मिली है।
2013 में लिली थॉमस बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुनाया था कि कोई भी सांसद, विधायक या एमएलसी जिसे अपराध का दोषी ठहराया जाता है और न्यूनतम 2 साल की जेल दी जाती है, तत्काल प्रभाव से सदन की सदस्यता खो देता है। तब अदालत ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(4) को रद्द कर दिया था, जिसने निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपनी सजा के खिलाफ अपील करने की अनुमति दी थी, इसे 'असंवैधानिक' बताया था।
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